24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। वन रक्षक भर्ती परीक्षा-2020 के पेपर लीक मामले में उदयपुर की एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें तीन पुलिस कॉन्स्टेबल, एक महिला अभ्यर्थी और अन्य शामिल हैं। एसओजी ने कोर्ट में पेश कर दो आरोपियों को जेल भिजवाया, जबकि बाकी 5 को चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। इस मामले में अब तक कुल 26 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें 10 वनरक्षक भी शामिल हैं।
उदयपुर से जुड़े अहम खुलासे
एसओजी की जांच में सामने आया कि उदयपुर इस पूरे पेपर लीक नेटवर्क का अहम केंद्र था। मास्टरमाइंड हरीश सारण, जिसे हाल ही में इंदौर से पकड़ा गया था, ने पेपर को उदयपुर और राजसमंद तक पहुंचाने का इनपुट दिया था। उदयपुर में इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी कंवराराम को सौंपी गई थी, जिसने गायरियावास स्थित किराए के मकान में अभ्यर्थियों को लीक पेपर पढ़ाया।
कैसे हुआ खुलासा?
गायरियावास स्थित किराए के मकान में इस पूरे रैकेट को अंजाम दिया गया। कांस्टेबलों ने 5-5 लाख रुपये लेकर कुछ अभ्यर्थियों को लीक पेपर उपलब्ध कराया और परीक्षा से पहले उसे हल करवाया। इसी मकान में बाघपुरा निवासी महिला शारदा भील सहित 6 अन्य अभ्यर्थियों को भी पेपर सॉल्व करवाया गया।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम और भूमिकाएँ
भियाराम जाट (कॉन्स्टेबल, डबोक थाने, मूल निवासी गुड़ामालानी, बाड़मेर) – अभ्यर्थियों को पेपर सॉल्व कराने में भूमिका निभाई।
देवाराम जाट (कॉन्स्टेबल, पुलिस लाइन, जालोर) – महिला अभ्यर्थियों को लीक पेपर उपलब्ध कराया।
कमलेश कुमार जाट (कॉन्स्टेबल) – अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने में मदद की।
शारदा भील (अभ्यर्थी, बाघपुरा निवासी) – लीक पेपर सॉल्व किया, लेकिन परीक्षा में असफल रही।
रमेश जानी (जालोर निवासी, मास्टरमाइंड हरीश सारण का भांजा) – पेपर लीक ऑपरेशन में सहयोगी।
कंवराराम (उदयपुर का मुख्य आरोपी) – किराए के मकान में पेपर सॉल्व कराया।
सांवलाराम (बाड़मेर निवासी) – गायरियावास में अपने मकान पर अभ्यर्थियों को पढ़ाया और परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया।
कैसे पकड़े गए आरोपी?
एसओजी ने गुप्त सूचना के आधार पर उदयपुर में छापेमारी की और आरोपियों से पूछताछ की। पुलिस ने मोबाइल डेटा, कॉल रिकॉर्ड और व्हाट्सएप चैट के आधार पर पेपर लीक रैकेट से जुड़े अहम सुराग जुटाए।
क्या था पेपर लीक का पूरा खेल?
हरीश सारण के निर्देश पर झबराराम जाट ने अपने मोबाइल से लीक पेपर कंवराराम को भेजा। इसके बाद कंवराराम ने प्रिंटर के जरिए उसकी हार्ड कॉपी तैयार कर अभ्यर्थियों को उपलब्ध करवाई। अभ्यर्थियों ने इसे याद किया और फिर परीक्षा दी।
आगे की कार्रवाई
एसओजी की 6 टीमों ने उदयपुर, बांसवाड़ा और जालोर में इस मामले की जांच जारी रखी है। उदयपुर पुलिस को शक है कि इस नेटवर्क के पीछे कुछ और बड़े नाम हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।
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