24 न्यूज अपडेट, डूंगरपुर। जिले की चिखली पंचायत समिति में बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी) की प्रधान शर्मिला ताबियाड के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया हे। यह क्षेत्रीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है। यह प्रस्ताव बीएपी के अपने ही 6 सदस्यों द्वारा लाया गया था। इसकी पृष्ठभूमि में चौरासी विधानसभा उपचुनाव का विवाद जुड़ा है, जहां प्रधान के पति बदामीलाल ताबियाड ने बीएपी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। इस कदम को पार्टी के खिलाफ विद्रोह के रूप में देखा गया, जिससे पार्टी में आंतरिक असंतोष बढ़ा। अविश्वास प्रस्ताव के लिए तीन-चौथाई बहुमत की आवश्यकता थी। हालांकि, कुल 17 सदस्यों में से केवल 6 सदस्य ही उपस्थित हुए, जो प्रस्ताव को सफल बनाने के लिए अपर्याप्त थे। इस कारण प्रस्ताव स्वतः ही खारिज हो गया। वोटिंग के दौरान सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे ताकि किसी भी संभावित विवाद को टाला जा सके। प्रशासन ने स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखने में सफलता पाई। इस घटनाक्रम से बीएपी की आंतरिक गुटबाजी स्पष्ट हो गई है, जो पार्टी की एकता और राजनीतिक स्थिति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। प्रस्ताव के खारिज होने के बाद प्रधान शर्मिला ताबियाड को राहत मिली है, लेकिन पार्टी के भीतर विश्वास बहाल करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। यह घटनाक्रम न केवल बीएपी के लिए आत्ममंथन का विषय है बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में गुटबाजी के बढ़ते प्रभाव का भी उदाहरण है। शर्मिला ताबियाड के लिए यह एक राहत भरा परिणाम है, लेकिन पार्टी में एकता बनाए रखना उनके नेतृत्व की अगली बड़ी परीक्षा होगी।
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