24 न्यूज़ अपडेट चित्तौड़गढ़. मेवाड़ में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर और श्रीनाथ मंदिर को सरकारीकरण से मुक्त कराने के लिए महाकुंभ में आयोजित शंकराचार्य पीठ के परमाराध्य जगतगुरु श्री श्री १००८ गुरु श्री अविमुक्तेश्वरानन्द जी परमाधीश की अध्यक्षता में परमधर्म संसद में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया। मेवाड़ धर्म प्रमुख श्री श्री रोहित गोपाल सूत जी महाराज ने इस विषय को उठाते हुए सरकार द्वारा मंदिरों के प्रबंधन और चढ़ावे के उपयोग में हस्तक्षेप को अनुचित बताया।
धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन:
श्री रोहित गोपाल सूत जी महाराज ने कहा कि सांवरिया सेठ मंदिर और श्रीनाथ मंदिर का संचालन कई पीढ़ियों से विशिष्ट परंपराओं और संप्रदायों द्वारा किया जाता रहा है। सांवरिया सेठ मंदिर में गुर्जर समाज और वैष्णव समाज का योगदान अहम रहा है, जबकि श्रीनाथ मंदिर में वल्लभ संप्रदाय की परंपराओं का पालन होता है। इन मंदिरों का निर्माण मेवाड़ के राजघरानों द्वारा किया गया और पूजा-पद्धति पुष्टि मार्ग के अनुसार संचालित होती है।
सरकारी हस्तक्षेप पर विरोध:
धर्म प्रमुख ने यह भी कहा कि मंदिरों की संपत्ति और चढ़ावे का उपयोग केवल सनातन धर्म से जुड़े कार्यों के लिए होना चाहिए। वर्तमान में सरकारीकरण के कारण चढ़ावे का उपयोग अन्य समुदायों और सरकारी स्वार्थों के लिए हो रहा है, जो धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं का उल्लंघन है।
परमधर्म संसद में सर्वसम्मति:
महाकुंभ के दौरान परमधर्म संसद में इस प्रस्ताव को संत समाज और धर्माचार्यों का व्यापक समर्थन मिला। प्रस्ताव में मांग की गई कि मंदिरों के संचालन और प्रबंधन का अधिकार उन परंपरागत समुदायों और सेवकों को सौंपा जाए, जिन्होंने इन मंदिरों की सेवा की है। इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए मेवाड़ धर्म प्रमुख को आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया। जन जागरूकता अभियान और सभाओं के माध्यम से इस मुद्दे को पूरे मेवाड़ में उठाया जाएगा।
धार्मिक मूल्यों का संरक्षण:
सर्वहिताय चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव राहुल शर्मा ने बताया कि यह आंदोलन धार्मिक मूल्यों की रक्षा और परंपराओं के पुनर्स्थापन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। आंदोलन से सनातन धर्म की परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद है।
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