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कार्रवाई नहीं होने से टावर पर चढ़ा युवक:सरकारी धन का गबन और भ्रष्टाचार की शिकायत डीएम से की थी, समझाने के बाद उतरा

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भीलवाड़ा। पंचायत में हो रहे घोटालों को उजागर करने के लिए एक युवक द्वारा जिला कलेक्टर से लिखित शिकायत की गई। जिसके बाद प्रशासन की उदासीनता एवं अनदेखी करने से परेशान युवक मोबाइल टॉवर पर चढ़ गया। मामला जहाजपुर थाना क्षेत्र के रावत खेड़ा ग्राम पंचायत से जुड़ा है। पुलिस व तहसीलदार के समझाने के बाद वह उतर आया। जहाजपुर थाना क्षेत्र के रावत खेड़ा ग्राम पंचायत पर भ्रष्टाचार और गबन के आरोप गोपाल पिता कानाराम मीणा ने लगाए हैं। इसको लेकर वह बुधवार सुबह करीब नौ बजे मोबाइल टावर पर चढ़ गया। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस व नायब तहसीलदार रामराज सुथार मौके पर पहुंचे। उनके समझाने के करीब 25 मिनट बाद वो टावर से उतरा आया। फिलहाल पुलिस ने युवक को शांति भंग के आरोप में हिरासत में ले लिया ।
टावर पर चढ़े युवक ने 26 फरवरी 2024 को जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर शिकायत की थी। लेकिन भ्रष्टाचार व गबन मामले मे अभी तक कोई कार्यवाही नहीं होने पर आज मुझे मोबाइल टॉवर चढ़ने पर चढ़ कर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना पड़ा‌।

यह था मामला

गौरतलब है कि जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत को 26 फरवरी को दिये गये ज्ञापन मे रावत खेड़ा ग्राम पंचायत के लोगों ने सरपंच पुत्र एवं ग्राम विकास अधिकारी पर पंचायत के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए ज्ञापन दिया था। जिसमे में बताया गया था कि ग्राम पंचायत रावत खेड़ा के ग्राम विकास अधिकारी व सरपंच पुत्र मिलकर ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार कर रहे है।

ग्राम पंचायत में वर्ष 2023-24 के लिए कोई टेंडर नहीं खोला गया। फिर भी सरपंच पुत्र व ग्राम विकास अधिकारी मिलकर मनचाही फर्म के बिल लगाकर राजकीय राशि का गबन कर रहे हैं। साथ ही कीचड़ निस्तारण, ग्रेवल, मिठाई, टैन्ट आदि के नाम पर लाखों रुपयों का गबन किया गया है। जिसकी जांच कर सम्बन्धित के खिलाफ कार्यवाही की जाए।

साथ ही ग्राम विकास अधिकारी बन्नालाल रेगर का 23 जनवरी को ही स्थानान्तरण होने के बाद भी लाखों रुपयों का फर्जी बिलों का भुगतान किया है। लोगों से रुपये लेकर पट्टे जारी किए जिन पर सरपंच की जगह सरपंच पुत्र के हस्ताक्षर किए गए हैं। पूर्व में भी सरपंच पुत्र द्वारा जल जीवन मिशन योजना में हर घर नल कनेक्शन के नाम पर रसीदें काटकर पंचायत खाते में जमा न करवाकर गबन किया। जिसकी पूर्व में जिला कलेक्टर को की गई शिकायत की। जिसकी जांच विकास अधिकारी द्वारा की गई। जांच में लगभग 698900 रुपए का गबन किया जाना सामने आया था। फिर भी कार्रवाई नहीं की गई।

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