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कटारिया विरोधी गुट के झंडाबरदार गुरूजी सहित कई नेताओं ने फिर थामा भाजपा का दामन

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। जनता सेना के भाजपा में विलय के बाद अब जनता सेना के बड़े नेता उदयपुर शहर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मांगी लाल जोशी की आज एक बार फिर स भाजपा में एंट्री हो गई है। उनके साथ ही दिनेश माली और गजेंद्र सिंह सामर की भी एंट्री हुई है। इसके अलावा कांग्रेस के डॉक्टर पृथ्वीराज चौहान ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। आज जयपुर में भाजपा के राज्य मुख्यालय पर अरूण चतुर्वेदी सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में सभी नेताओं को भाजपा ज्वाइन करवाई गई। गुरूजी मांगी लाल जोशी भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे हुए हैं और वर्ष 1998 में उदयपुर शहर से भाजपा के विधानसभा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। जोशी को उस समय कांग्रेस के त्रिलोक पूर्बिया ने हराया था। तब हार और जीत का अंतर केवल 4 हजार वोटों का था। उसके बाद के चुनावों से पहले तत्कालीन गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया से अनबन के चलते जोशी ने भाजपा से दूरियां बना ली। जोशी का कहना था कि वे जनरल की मेयर सीट आने पर पार्षद के रूप चुनाव लड़कर मेयर बनना.चाहते थे मगर कटारिया ने उनका टिकट काट दिया। इस पर दोनों के बीच अदावत शुरू हुई जो दशकों बाद कटारिया के असम का राज्यपाल बनने तक तक चलती रही। जोशी ने जनता सेना के रूप में विरोध का झंडा वर्ष 2018 से बुलंद किया और कटारिया की राजनीति को वल्लभनगर और मावली में खासा नुकसान पहुंचाया। पिछले दिनों जनता सेना सुप्रीमो रणधीरसिंह भीण्डर के भाजपा ज्वाइन करने के बाद से लगभग तय था कि जोशी भी भाजपा में आने वाले हैं। यह औपचारिकता आज पूरी हो गई। उनका विरोध विधानसभा चुनावों तक ही सीमित रहा क्योंकि उनका मानना है कि देश को केंद्र में मोदी जैसे सशक्त नेतृत्व की जरूरत है। खुद उनके शब्दों में-भाजपा ने मुझे कभी बाहर नहीं किया। कटारिया से असमर्थ लोगों से हमेशा मेरा संकर्प रहा। शहर विधानसभा से दलपत सुराणा को कटारिया के खिलाफ  चुनाव भी जोशी ने ली लड़वाया मगर सुराणा हार गए और उनकी राजनीति ही लगभग खत्म हो गई। आज उनकी घर वापसी पार्टी के लिए किसी रूठे बुजुर्ग का घर वापस लौटने जैसा है क्योंकि कल ही पार्टी की वर्षगांठ पर निर्देश थे कि बुजुर्ग नेताओं का उनके घर जाकर सम्मान किया जाए। जोशी पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि कटारिया के जाने के बाद पार्टी में नेतृत्व की कमी महसूस की जा रही है। जो लोग कभी कटारिया के साथ थे, वे आज उनको निपटाने पर लगे हुए हैं। यदि मैं वापस आता हूं तो उन सबको निपटा दूंगा जो पार्टी में बिखराव ला रहे हैं। याने राजनीति के इस अखाड़े में यह उम्मीद की जा सकती है कि जोशी की राजनीतिक पारी का एक हिस्सा अब भी बाकी है जो आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।
इन नेताओं के आने से पार्टी में एक नया पावर सेंटर बनाना तय है क्योंकि इनके जाने के बाद से बनी भाजपा के आंतरिक द्वीप समूहों पर कई नेता विराजमान होकर अपनी राजनीति  की जाजम बिछा चुके हैं। पुरानी स्टाइल की राजनीतिक करने वालों के लिए अब कितनी जगह बचेगी या इन्हें नई जगह बनानी पड़ेगी, यह आने वाला वक्त बताएगा। अब भाजपा को री-स्ट्रक्चर भी करना होगा क्योंकि इसमें कई तरह के नेताओं की वापसी अब तक हो गई है। एक वो नेता जो रूठ कर चले गए थे, एक वो जो बागी होकर लड़े थे। दूसरे वो जो अन्य दलों से आए हैं। तीसरे वो जो बरसों से उंचे पद की आस में लगातार प्रयासरतर हैं। चौथे वो जो पद पा चुके हैं मगर पद का मोह छूट नहीं रहा है और पांचवें वो जो तत्काल आंतरिक उठापटक करवा कर अपनी क्षमता से अधिक पद और सम्मान प्राप्त कर लेना चाहते हैं।

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