रिपोर्ट : जयवंत भैरविया
24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। अगर आप उदयपुर के एमबी अस्पताल में रक्तदान करने के बारे में सोच रहे हैं तो जरा ठहर जाइये। कहीं आप कोई बहुत बड़ी भूल तो नहीं करने जा रहे हैं। पहले पूछ लीजिए कि डोनर कार्ड के बदले में रक्त जरूरत पर मिलेगा भी या नहीं। या फिर चक्कर पर चक्कर देने व घनचक्कर बनाने के बाद आपको इस बात के लिए प्रताड़ित तो नहीं किया जाएगा कि डोनर लेकर आइये, यहां कोर्ड नहीं चलते। कहीं डॉक्टर ब्लड बैंक मेंं आपके हाथ से डोनर कार्ड लेकर तो नहीं फेंक देगा और आप हतप्रभ होकर रह जाएंगे। और अगर आपने परिवार के दो-चार सदस्यों के साथ रक्तदान कर दिया व अगले ही दिन जरूरत पड़ गई तो आपसे कह दिया जाएगा कि ‘बार-बार डोनर कार्ड लेकर क्यों आ रहे हो’। आप रिक्वेस्ट पर रिक्वेट करते जाएं और वहां से आपको घोर निराशा हाथ लगें। बाद में पछतावा हो कि ब्लड डोनेट ही क्यों किया, नहीं करते तो आज कम से कम ये दिन ना देखना पड़ता। यही नहीं, इसके बाद आप यदि यह उम्मीद करें कि मुख्यमंत्री के पोर्टल 181 से आपको मदद मिल जाएगी तो भूल जाइये। वहां से केवल शिकायत का नंबर मिलता है। बार-बार फोन करने पर कहा जाएगा कि आपकी शिकायत संबंधित के पास भेज दी गई है। जबकि आपका मामला अर्जेंट है। दूसरी हैल्पलाइन से भी मदद नहीं मिले। अधिकारियों से फोन करने पर एक-दूसरे के नंबर देकर टरका दे ंतो आपकी हालत क्या होगी।
यह सब हो रहा है एमबी अस्पताल के एक वार्ड में भर्ती महिला मरीज के परिजनों के साथ। हम खबर में उनका नाम इसलिए नहीं दे रहे हैं क्योंकि अस्पताल प्रशासन को पहले से पता है कि उन्होंनें मरीज के परिजनों को किस संकट और तनाव में डाल रखा है। इस महिला पेशेंट को चारा युनिट ब्लड की जरूरत थी। चार दिन पहले भर्ती महिला के परिजनों ने बताया कि जब डोनर कार्ड लेकर ब्लड बैंक गए तो बहुत ज्यादा आग्रह के बाद एक युनिट ब्लड दे दिया। उसके बाद अपने एक मित्र को डोनर के रूप में लेकर आए तो बहुत देर बिठाने के बाद कहा कि आपको तो फार्म ही नहीं मिल रहा है। फार्म ढूंढने में 1 घंटे की मशक्कत के बाद कहा कि पहले एक युनिट ब्लड की एंट्री होगी, उसके बाद ब्लड डोनेट कर सकते हैं। उन्हें वापस भेज दिया गयां। अगले दिन फिर परिजनों का ब्लड डोनेशन का कार्ड लेकर गए तो वहां मौजूद डाक्टर ने सख्त लहजे में बात करते हुए कार्ड ही टेबल पर साइड में फेंकते हुए कहा कि ‘‘बार-बार कार्ड लेकर क्यों आ रहे हो, डोनर लाओ‘। मरीज के परिजनों ने कहा कि कल हम डोनर लेकर आए थे लेकिन आपने ब्लड नहीं लिया। आज डोनर आउट आफ स्टेशन है। ऐसे में कार्ड से रक्त दीजिए। बहुत हाथाजोड़ी के बाद डाक्टरों ने दूसरा कार्ड लिया। अब तीसरी यूनिट ब्लड के लिए कल फिर ब्लड बैंक गए तो साफ मना कर दिया व कार्ड फेंक दिया। परिजनों का कहना है कि तुरंत डोनर लाना संभव नहीं हो पा रहा है। जो लोग अस्पताल में मौजूद हैं वे सभी ब्लड डोनेशन के क्राइटेरिया में नहीं आ रहे हैं। ऐसे में डोनर कार्ड की व्यवस्था की है। ब्लड बैंक बार-बार ना सिर्फ मना कर रहा है बल्कि डाक्टरों का बर्ताव भी अनुचित है। उन्होंने डॉक्टरों से पूछा कि ऐसा कौनसा नियम है कि डोनर कार्ड से ब्लड नहीं दिया जा सकता है तो वे नियम नहीं बता रहे हैं।
इस बारे में जब सीमए पोर्टल पर शिकायत की गई तो उनको एक नंबर अलॉट कर दिया गया। समस्या का समाधान 24 घंटे बाद भी नहीं किया गया है। जबकि यहां त्वरित समाधान का दावा किया जाता है। यही नहीं सीमए पोर्टल से 104 पर बात करने को कहा गया। वहां पर फोन किया तो कहा गया कि ‘‘आप उन्हीं से रिक्वेस्ट कीजिए‘ हम क्या कर सकते हैं। इसके बाद अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने दूसरे अधिकारी का नंबर दे दिया। अस्पताल अधीक्षक को फोन किया तो उठाया ही नहीं। कुल मिलाकर हालता बहुत ही विकट हैं व तुरंत विधायक व सांसद को इसका संज्ञान लेकर पूरे सिस्टम को ही दुरूस्त करना चाहिए। मरीज के परिजनो ंने कहा कि वे रक्तदान के प्रति बहुत जागरूक हैं तथा नियिमित समय अंतराल पर खुद भी रक्तदान करते आए है ंव लोगों को भी प्रेरित करते हैं। लेकिन कोरोना के बाद की बीमारियों की वजह से वे रक्तदान के क्राइटेरिया से बाहर हो गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर डोनर कार्ड से रक्त नहीं दे रहे हैं तो फिर रक्तदान शिविरों का ढोंग और अपीलें आखिर किसलिए करते हैं। अगर एक परिवार के 10 लोग रक्तदान करते हैं तो उनको 10 डोनर कार्ड मिलते हैं। अगर आपातकाल में सभी कार्ड की जरूरत पड़ती है तो अस्पताल प्रशासन कार्ड से ब्लड देने से मना कैसे कर सकता है।
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