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अब सामने आया जैसलमेर के पानी के फूट पड़े झरने का राज…..आप भी जानिये 

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24 न्यूज अपडेट स्टेट डेस्क। 28 दिसंबर, जैसलमेर की मोहनगढ़ तहसील का चक 27 बीडी गांव में विक्रम सिंह के खेत पर ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान चमत्कार हुआ था। अचानक जमीन के अंदर से जलधारा ऐसी फूट पड़ी कि पानी रोके नहीं रूका। देखते ही देखते खेत व उसके आस-पास का पूरा का पूरा क्षेत्र. ही पानी में डूब गया। बोरिंग मशीन और ट्रक जमीन में समा गए। जिला प्रशासन ने 500 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को हटा दिया ताकि कोई अनहोनी ना हो जाएं तब से यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर यहां पानी आया कहां से यह तो रेगिस्तान है। बताया जा रहा है कि 5 हजार साल पहले यहां से पवित्र सरस्वती नदी बहती थी व जब जब यहां पानी आता है यही कहा जाता है कि इस इलाके में नदी बाहर आई है जो बरसों से अंदर ही अंदर बह रही है। ट्यूबवेल से पानी के साथ काफी मात्रा में सफेद रंग की रेत निकली है वैज्ञानिक बता रहे हैं कि यह रेत टर्शरी काल की है। जमीन का इतिहास बताता है कि करीब 60 लाख साल पहले ऐसी मिट्टी होती थी। पानी भी इतना ही पुराना हो सकता है। अब आईआईटी के वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे है।ः जमीन के नीचे सेंड स्टोन की 200 मीटर की मोटी परत बताई गई है व इसके नीचे ही ग्राउंड वाटर ठहरा हुआ है। इस परत को पंक्चर करते ही पानी बाहर निकलते लगता है। प्रेशर जब तक रहता है जब तक परत के नीचे पानी का लेवल सेटल नहीं हो जाता है। इसके बाद पानी की स्पीड कम हो जाती है। अभी बहाव इतना तेज था कि ट्रक 22 टन की मशीन समेत जमीन में चला गया। मोहनगढ़ और नाचणा में सेलो सिपेज ट्यूबवेल खोदते हैं जिसकी गहराई 30 फीट ही तक होती है। गहरी टयूबवेल की जरूरत नहीं है। पहली बार 260 मीटर गहरी ट्यूबवेल खोदी गई तो सेंड स्टोन परत के नीचे दबा पानी जबर्दस्त प्रेशर से बाहर आ गया। जैसलमेर में सरस्वती नदी का बहाव क्षेत्र आता है। इसकी जल रेखाएं जमीन के नीचे से निकलती हैं। इसका पानी जमीन के नीचे सैंड स्टोन की परत से ऊपर की तरफ ही रहता है। वह पानी मीठा होता है। अभी जो पानी आ रहा है वह खारा है।ऐसे में उम्मीद जताई जा सकती है कि जैसलमेर में आने वाली कैनाल के पानी के साथ मिलाकर इसका उपयोग खेती में किया जा सकेगा। अधिकारियों ने बताया कि विक्रम सिंह के खेत में जीरे के फसल की बुवाई के लिए ट्यूबवेल गहरा खोदा गया था। जो गैसा बाहर आई है वह खतरनाक नहीं है।

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