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अजमेर दरगाह मामले में सुनवाई, दिल्ली के वकील को धमकी

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24 न्यूज अपडेट. अजमेर। अजमेर की सिविल कोर्ट में दरगाह शरीफ परिसर में शिव मंदिर होने के दावे की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका के तहत मंदिर होने के दावे की सत्यता की जांच और एएसआई के सर्वेक्षण कराने की मांग की गई है। मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की है। याचिकाकर्ता का दावा है कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर कर दावा किया कि दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर स्थित था। दावे के लिए 1911 में लिखी गई हरबिलास सारदा की किताब “अजमेरः हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव“ का हवाला दिया गया। किताब में कहा गया कि दरगाह का निर्माण मंदिर के मलबे पर हुआ है। दरगाह कमेटी ने याचिका को खारिज करने की मांग की, यह कहते हुए कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। कमेटी ने कोर्ट से समय मांगा और दावा किया कि मंदिर का दावा आधारहीन है। सुप्रीम कोर्ट के वकील हुसैन मोइन फारूक, जो पक्षकार बनने आए थे, को एक व्यक्ति ने गोली मारने की धमकी दी गई है। घटना की जानकारी जज को दी गई, जिसके बाद पुलिस को निर्देश दिया गया कि वह उचित कार्रवाई करे।
अर्जी दाखिल करने वालों की बढ़ती संख्या
अब तक 11 पक्षकारों ने खुद को मामले में शामिल करने की अर्जी लगाई है। हाल ही में टोंक, अजमेर, किशनगढ़, और अन्य स्थानों से नई अर्जियां दाखिल हुई हैं। याचिकाकर्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वेक्षण कराने की मांग की। गुप्ता ने कहा कि सर्वे से सारी वास्तविकता स्पष्ट हो जाएगी और इसे लेकर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। नवंबर 2023 में विष्णु गुप्ता की याचिका सिविल कोर्ट ने स्वीकार की थी। अदालत ने इस मामले में अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी आदि को नोटिस जारी किया। दावा किया गया कि परिसर में जैन मंदिर और हिंदू मंदिर के अवशेष मौजूद हैं।

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