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सांई तिरूपति विवि के वेंकटेश कॉलेज ऑफ नर्सिंग के स्टूडेंट फिर सड़कों पर, बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के अटकी सरकारी नौकरी, चार साल की मेहतन के बाद भी देने पड़ रहे हैं धरने

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। बड़े अरमानों के साथ नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लिया, सोचा कि चार साल में कॅरियर बन जाएगा मगर चार साल बाद एप्रिन पहन कर मरीजों का उपचार करने की बजाय सड़कों पर बैठक कर नारे लगाने पड़ रहे हैं। आरएनसी के रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं आने की वजह से धरने देने पड़ रहे हैं। जहां से पढ़े उस साई तिरुपति विश्वविद्यालय के अंतर्गत, वेंकटेश्वर कॉलेज ऑफ नर्सिंग से लेकर जिला प्रशासन, जयपुर में नर्सिग काउंसिल और बड़े-बड़े नेता, सब के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। सवाल मान्यता का है, सवाल डिग्री का है। सवाल कई सहपाठियों की सरकारी नौकरी का है। डिग्री नहीं मिली तो नौकरी अटक गई और भविष्य अंधकार में जाता हुआ दिख रहा है। अब सांई तिरूपति विवि के वेंकटेश कॉलेज ऑफ नर्सिंग प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि मान्यता की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है। इंस्पेक्शन आदि हो चुके हैं। तो सवाल यह उठ खड़ा हो रहा है कि यदि पुख्ता मान्यता चार साल पहले अधर में थी तो एडमिशन दिए ही क्यों? कौनसी आपाधापी या आर्थिक प्रलोभन था कि मान्यता मिलने के क्रम में ही एडमिशन देकर 700 से 800 अनुमाति छात्रों का भविष्य अंधकार में डाल दिया गया। आरनएनसी की मान्यता व आरयूएचएस का एफिलिएशन नहीं है तो क्यों नहीं है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? चार साल बाद जब छात्रों को पता चला कि यहां तो डिग्रियों और मान्यताओें के ही लाले पड़े हुए हैं तो होंश उड़ गए। धरना-प्रदर्शन शुरू हुए मगर कॉलेजवालों के रसूख के आगे जिला प्रशासन ज्ञापन लेकर उस पर ही कुंडली मार कर बैठ गया। जयपुर गए तो वहां भी हाई पावर एप्रोच के चलते उनकी नहीं सुनी गई। नर्सिंग काउंसिल ने भी ध्यान नहीं दिया। ऐसे में छात्र न्याय के लिए जाएं तो जाएं कहां और किसके पास? अब इस मामली में ताजा डिवलपमेंट यह हुआ है कि छात्रों के अनुसार मान्यता की प्रक्रिया अंतिम चरण में बताई जा रही है। उसमें भी कोई लोचा आने से छात्रों को डर है कि कहीं फिर से मामला अटक नहीं जाए। जबकि होना यह चाहिए था कि छात्रों के अधिकारों की लड़ाई खुद वेंकटेश कॉलेज को लड़नी थी। छात्र आज कलक्ट्रेट पर अपने मामले को लेकर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि जब कोर्स शुरू हुआ तब सब कुछ लीगल था। सवाल उठता है कि यदि सब कुछ लीगल था तो मान्यता सहित अन्य मामले उठने ही नहीं चाहिए थे व सारे मामले कॉलेज के स्तर पर दिए गए जवाबों से ही हल जो जाने चाहिए थे। अब तक मान्यता वाली कृपा आखिर कहां पर अटकी हुई है। कई छात्रों का सरकारी नौकरी में चयन हो गया है। उनके सामने परेशानी खड़ी हो गई है। मान्यता वाला रोड़ा उनकी सरकारी नौकरी के आगे राहू-केतु की तरह घूम रहा है। ये हटे तो नौकरी की सूरत दिखे। बड़ा सवाल यह है कि लगातार चार साल तक साई तिरुपति विश्वविद्यालय के अंतर्गत, वेंकटेश्वर कॉलेज ऑफ नर्सिंग ने इन विद्यार्थियों को पढ़ाया, 2017 से अब तक सत्र सुचारू रूप से चलने का दावा किया जा रहा है तो फिर इन छात्रों को प्रदर्शन क्यों करना पड़ रहा है। इस विषय को लेकर ये लोग कई जगह धरना प्रदर्शन कर चुके हैं मगर नर्सिंग सेक्टर में अंदरखाने चल रही लॉबी धनबल के चलते इन छात्रों का काम ही नहीं होने दे रही है। जिला प्रशासन को भी जवाब देना चाहिए कि एक साल पहले हुए ज्ञापन पर क्या कार्रवाई की? क्यों हाथ पर हाथ धरकर बैठ गए? किसका दबाव था? यही सवाल जयपुर में बैठे उच्च अधिकारियों पर भी उठता है। इस बारे में प्रिंसिपल विजयसिंह व रजिस्ट्रार देवेंद्र जैन से हमने बात करने की कोशिश की तो दोनों ने मामला एक-दूसरे के जिम्मे डालते हुए जवाबदेही से बचने का प्रयास किया व कोई जवाब नहीं दिया। अब सवाल वहीं का वहीं है कि जब पूरा सिस्टम ही इन विद्यार्थियों को या तो घनचक्कर बना रहा है या फिर अपने हिसाब से हांकने पर तुला हुआ है तो फिर आखिर न्याय कौन दिलाएगा? इनकी चार साल की मेहनत को यूं ही पानी में होते नहीं देखा जा सकता। इन्हें डिग्री व मान्यताओं के साथ ही हर्जाना भी मिलना चाहिए।

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