24 न्यूज़ अपडेट शाहपुरा. शाहपुराजिले का वजूद इन दिनों वेंटीलेटर पर था। पता नहीं कब जिले की सांस और जनता की आस दोनो ही टूट जाए। राजस्थान में नए जिलों को खत्म करने की चर्चाओं ने क्षेत्र के विकास के सपनों को धूमिल कर दिया है। एक समय के उत्साह से भरी हुई जनता आज गहरे अंधकार और निराशा में डूबी हुई है।17 मार्च 2023 को जब शाहपुरा को जिला घोषित किया गया, तो पूरे शहर में जश्न मनाया गया। लोगों ने मिठाइयां बांटी, सड़कों पर उत्साह का माहौल था। सबको लगा कि अब शाहपुरा विकास के नए आयाम छुएगा। लेकिन आज जब जिलों को खत्म किया, वह सपना टूटता नजर आ गया। नए साल की खुशियां इस मायूसी के आगे फीकी पड़ गई हैं और लोगों के चेहरे पर उदासी छा गई है। जो उम्मीदें कभी चमक रही थीं, वे अब धुंधली हो गई।शनिवार होने वाली केबिनेट की बैठक में प्रदेश के नए जिलों को लेकर पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर फैसले को लेकर क्षेत्रवासियों की निगाहें टिकी हुई थी आज़ जनता को अहसास हुआ कि जिस तरह बीजेपी को वोट देने का नतीज़ा जनता को नए साल का तोहफ़ा दिया वर्तमान सरकार ने
कांग्रेस और भाजपा दोनों मौन
जिन नेताओं ने कभी शाहपुरा को विकास की मिसाल बनाने का वादा किया था, अब वे इस मुद्दे पर मौन थे। भाजपा के ही पूर्व विधायक कैलाश मेघवाल अब इस मुद्दे पर चुप हैं।बीजेपी विधायक लालाराम बैरवा, जिनसे जनता को उम्मीदें थीं, वे भी इस मुद्दे पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे।हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था,और उस सन्नाटे में लोगों की उम्मीदें बिखर रही थी।वही विपक्षी पार्टी जिनकी सरकार में शाहपुरा को जिले की सौगात मिली थी वे भी मौन होकर सरकार के आगामी फैसले का इंतज़ार कर रहे है जिसका नतीजा यह हूवा वर्तमान सरकार ने शाहपुरा जिले को किया खत्म
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