24 न्यूज अपडेट उदयपुर। राष्ट्रीय खेल दिवस की पूर्व संध्या पर लोकजन सेवा संस्थान ने कार्यक्रम आयोजित कर महान देशभक्त पद्म भूषण सम्मानित हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को नमन किया । संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया कि 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज मे जन्मे ध्यानचंद 16 वर्ष की आयु मे साधारण सिपाही के रुप मे सेना मे भरती हुए यहां हॉकी मे प्रशिक्षण प्राप्त कर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। उन्होंने तीन बार ( 1928, 1932, 1936) मे भारत को ओलिम्पिक स्वर्ण पदक दिलाया। 15 अगस्त 1936 ओलम्पिक मे भारत – जर्मनी का वो ऐतिहासिक फाईनल मैच हुआ जिसे स्वयं हिटलर की मौजूदगी मे खेला गया और हमारे मेजर ध्यानचंद के नंगे पैर खेलते हुये किये गये 6 गोलों की बदौलत भारत 8 – 1 से विजयी रहा। हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन सेना मे आ जाने को कहा जिसे उन्होंने यह कहते ठुकरा दिया कि मै भारतीय हू और भारत के लिये ही खेलूंगा । हिटलर ने उनकी इस देशभक्ति की भूरी भूरी प्रशंसा की । 1956 मे भारत सरकार ने उन्हे पद्म भूषण से सम्मानित किया व वर्ष 2012 से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रुप मे मनाने की घोषणा की। इस अवसर पर चन्द्र प्रकाश चित्तौड़ा द्वारा चाक स्टिक से निर्मित दो इंच की हॉकी आकृति लिये ट्राफी का प्रदर्शन किया गया। सभी ने चित्तौड़ा को उनकी लघु कृति के लिये बधाई दी।
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