उदयपुर। सलूंबर के अदवास में शंकरलाल हत्याकांड में रविवार को आखिरकार गतिरोध टूट ही गया। शाम को सहमति बनी। पोस्टमार्टम किया गया व सूत्रों के अनुसार बॉडी को झाड़ोल सीएचसी ले जाया जा रहा है। वहां से सुबह अदवास में घर पर ले जाया जाएगा व रीति-रिवाज, संस्कार पूर्ण होने के बाद सुबह 9 बजे अंतिम संस्कार की उम्मीद की जा रही है।
इससे पहले आज सुबह से उदयपुर में वार्ताओ के मैराथन दौर चले व मोर्चरी के बाहर बहुजन समाज की ओर से जबर्दस्त प्रदर्शन कर बंद का ऐलान किया गया। सरकार को जमकर ललकारा। जोरदार सोशल मीडिया कैंपेन भी चलाया जा रहा था। सांसद चंद्रशेखर आजाद, सांसद अमराराम के आने की भी बात कही जा रही थी। आंदोलन को धार देने के लिए बाप पार्टी ने भी समर्थन दिया था। ऐसे मे ंपूरी सरकार सकते में थी। शाम को वर्ता के बाद कुल 31 लाख के मुआवजे पर सहमति बनी जबकि मांग 1 करोड़ की थी। इसमें से सवा 13 लाख चिरंजीवी तथा बाकी सरकारी अन्य मदों से व कुल मिलाकर 31 लाख दिए जाएंगे। एक संविदा व एक अनुंकपा पर नौकरी दी जाएगी। मृतक के गंभीर रूप से घायल पिताजी का उपचार सरकार खुद करवाएगी। वार्ता के दौरान विधायक फूलसिंह मीणा, सांसद मन्नालाल रावत, कमिश्नर राजेद्र भट्ट, आईजी अजयपाल लांबा सहित अन्य अधिकारी, पूर्व जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, लक्ष्मीनारायण मेघवाल पूर्व पार्षद व मृत के परिजन तथा अन्य संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। समझौता होते ही पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू हो गई है। लेकिन इस बीच कुछ संगठनेां की ओर से विरोध के चलते फिर से संशय की स्थिति बन गई। संगठनों का कहना था कि 1 करेाड़ से कम का मुआवजा नहीं चलेगा। आखिरकार उनको भी रात को मना ही लिया गया व उदयपुर बंद का आहïवान वापस ले लिया गया। अब शव को सीधे गांव नहीं ले जाकर झाड़ोल सीएचसी में ले जाया जा रहा है। इधर, बहुजन व दलित संगठनों सहित कई समाजसेवाी संगठनों की ओर से इस मामले में न्याय की मांग उठाने से पूरा मुदïदा राष्ट्रीय स्तर पर छा गया। चंद्रशेखर आजाद ने संसद के बाहर तख्तियां थाम कर दलित बेटे को न्याय की गुहार की तो केंद्र व राज्य सरकार सकते में आ गई। इसके बाद डैमेज कंट्रोल की कवायाद की गई व उसमें दोनों प्रमुख दलों, दलित नेताओं से समझाइश के कई दौर चले व आखिरकार समझौता हुआ।
इधर आज भी अदवास में पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। गांव में कुछ दुकानें तो खुल गईं मगर पूरा बाजार नहीं खुला। लोगों में अब भी खौफ देखा गया। ग्रामीणों ने बताया कि कल जिला प्रशासन ने बहुत ही तत्परता दिखाते हुए हत्यारे फतेहसिंह का अंतिम संस्कार कर दिया ताकि विरोध की आग ज्यादा नहीं फैल सके। इधर, इस मामले में एक पुलिसकर्मी को सस्पेंड करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। गांव वाले समर्थन में आ गए हैं कई संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यह सब टेक्टिकल व मनोवैाानिक मूलव था ताकि हत्यारा पकड़ में आ सके। गाली देकर किसी समाज को नीचा दिखाने की कतई मंशा नहीं थी। ऐसे में उनकी बहाली की जाए। इस बारे में कल कई संगठन ज्ञापन भी देने वाले हैं।
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