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राहुल गांधी ने रायबरेली से दाखिल किया नामांकन, खड़गे, सोनिया गांधी, प्रियंका, रहे साथ

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24 न्यूज अपडेट, ब्यूरो। नामांकन के आखिरी दिन शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रायबरेली नामांकन दाखिल किया तो गांधी परिवार के करीबी केएल शर्मा को पार्टी ने अमेठी से मैदान में उतारा गया। उनके साथ सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी, जीजा रॉबर्ट वाड्रा मौजूद रहे। किशोरी लाल शर्मा ने भी अमेठी से नॉमिनेशन कर दिया है। इससे पहले शुक्रवार सुबह 9 बजे राहुल परिवार के साथ दिल्ली से रायबरेली के लिए रवाना हुए। साढ़े 10 बजे अमेठी-रायबरेली बॉर्डर पर स्थित फुरसतगंज एयरपोर्ट पर उतरे। यहां भव्य स्वागत हुआ। एयरपोर्ट से सोनिया, राहुल और रॉबर्ट वाड्रा रायबरेली कांग्रेस कार्यालय गए। प्रियंका और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी अमेठी पहुंच व किशोरी लाल के साथ रोड शो किया। प्रियंका ने कहा- हम अमेठी में एक बार फिर सच्चाई और सेवा की राजनीति वापस लाना चाहते हैं। अब मौका आ गया है। ये आपका चुनाव है, आप लड़ेंगे, आप जिताएंगे। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा- मेहमानों का स्वागत है। हम लोग अतिथियों के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अमेठी से गांधी परिवार का न लड़ना, इस बात का संकेत है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में वोट पड़ने से पहले ही अमेठी से अपना हार स्वीकार कर चुकी है। पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा- राहुल को अमेठी लड़ना चाहिए था। अमेठी से भागने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पूरे देश में ये संदेश जाएगा कि जो आदमी रोज पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देता था, रोज अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और देश की जनता से कहता था कि डरो मत, वो खुद डर गया। मुझे लगता है कि ये कांग्रेस का दुर्भाग्य है।“ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ग् पर लिखा कहा- राहुल गांधी राजनीति और शतरंज के मंजे खिलाड़ी हैं। सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से ठश्रच्, उनके समर्थक और चापलूस धराशाई हो गए हैं। उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? इधर, अमेठी से किशोरीलाल का उतारा गया है। किशोरी लाल मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं। वह 1983 में पहली बार राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी आए थे। 1991 में राजीव की मौत के बाद गांधी परिवार से उनके रिश्ते पारिवारिक हो गए। इसके बाद कभी शीला कौल तो कभी सतीश शर्मा के राजनीतिक कामों को देखने वह अमेठी-रायबरेली आते रहते थे।

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