24 न्यूज अपडेट. चित्तौड़गढ़। सांवलिया सेठ के दरबार की लीलाएं अपरम्पार हैं मगर आजकल उनके नाम पर कुछ लोग आर्थिक वसूली करने से बाज नहीं आ रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आने पर अब पावणे बनाकर सांवलियाजी को लेकर जाने पर रोक लगाने के आदेश जारी हुए हैं। हालाकि बताया गया है कि मामले का मंदिर मंडल से कोई संबंध नहीं है। पुजारियों की ओर से गफलत की जा रही थी। अब भगवान श्री सांवलिया जी की प्रतिमूर्ति को किसी भी कार्यक्रम में ले जाने पर रोक लगा दी गई है। इस बारे में श्री सांवलिया जी मंदिर के कुछ पुजारियों द्वारा सामाजिक, धार्मिक और व्यावसायिक कार्यक्रमों में सांवरा सेठ की प्रतिमूर्ति को गाजे बाजे के साथ लेकर जाया जा रहा था। शिकायत थी कि इसके बदले में राशि की मांग की जा रही थी। जब मंदिर मंडल को जानकारी दी गई तो पुजारियों को पाबंद कर दिया गया। हालांकि यह जांच का विषय है कि आखिर मंदिर मंडल को अब तक इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई। यदि थी तो उनकी ओर से पहल क्यों नहीं की गई। एडीएम (प्रशासन) और श्री सांवलिया जी मंदिर मंडल की सीईओ प्रभा गौतम ने अब इस बारे में एक आदेश जारी किया है तथा सांवरा सेठ की प्रतिमूर्ति को अन्य प्रोग्राम में ले जाने पर रोक लगा दी हैं। सांवरा सेठ को लेकर आने की बात का खुलासा उदयपुर से आए एक भक्त से हुआ जिसमें भक्त ने मंदिर मंडल से कहा कि उनके घर के कार्यक्रम में ठाकुर जी पांवणा बनकर आए थे। इसके लिए उन्होंने पुजारी को रुपए दिए थे। एक नहीं बल्कि कई मामलों में ऐसा ही सामने आया। लगभग सभी भक्त उदयपुर जिले के ही निकले। मंदिर मंडल के सदस्यों ने इस पर रोक लगाने की अनुशंसा की। अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रभा गौतम ने मीडिया को बताया कि अलग-अलग निजी सामाजिक, धार्मिक और व्यावसायिक प्रोग्राम्स में भगवान श्री सांवलिया सेठ की प्रतिमूर्ति को ले जाने पर रोक लगा दी गई है। पुजारियों को ऐसा ना करने पर पाबंद किया गया है। आगे से ऐसी जानकारी मिलने पर कार्रवाई होगी। मगर सवाल यह उठता है कि आगे से क्यों, अभी जो हुआ उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?? इसके अलवा अब भक्तों से सीधे पोशाक भी पुजारी नहीं ले पाएंगे व ठाकुर जी का श्रृंगार चेंज खुद ही मनमर्जी से नहीं कर पाएंगे।
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