24 न्यूज़ अपडेट सलूंबर। गणपति महोत्सव के अंतर्गत सोमवार को झाड़ोल में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन गणपति पंडाल में आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन में मां कुलदेवी नवयुवक मंडल गतोड़िया मोहल्ला झाड़ोल द्वारा आमंत्रित कवियों एवं अतिथियों का माल्यार्पण के द्वारा स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। कवि भरत मीणा खेरवाडा ने फिजा में पश्चिमी हवा, चल पड़ी है कुछ बरसों से। संस्कार खंड-खंड हो रहे, जो शान थे हमारे अरसों से। माना जमाना नया,विचार नए,सपने नए इश्क,इजहार,तकरार वाजिब हैं पर ये नादानी,नासमझी, बीच बाज़ार में, गैर वाजिब हैं प्रतिनिधि कविता सुनाई। कवि छत्रपाल शिवाजी ने कभी यहां पर कभी वहां पर, जीवन बहती धारा है कभी भँवर में अटकी साँसें, मिलता कभी किनारा है। कविता के इस महायज्ञ में, खुद को होम दिया हमने, इश्क किया है सिर्फ कलम से, हम आशिक बंजारा हैं रचना पढ़ी तो लोग दाद देते रहे रचना सुनाई तो जोश में वक़्त ठहर सा गया। रचनाधर्मियों के काव्य पाठ जैसे-जैसे परवान चढ़े श्रोता भी उनकी फुहार में भीगते रहे। संयोजक कवि सुनील पटेल सन्नाटा नेजपुर ने भारत को गर्व है कि हमारे पास स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हैं। न भूखा सो सके भारत यही सपना किसानों का कविता के माध्यम से किसानों की दर्द बयानी की। देर रात तक गीतों, गजलों ओज की कविताओं व हास्य-व्यंग्य के ठहाकों के बीच श्रोता झूमतें रहे। कवि गोपाल सेवक ने “टीवी नो असर मारी पत्नी माते पड्यो एवो जोरदार, टीवी ना चक्कर में भूली जाए ” रचना पढ़कर सामाजिक जीवन पर टीवी के प्रभाव को रेखांकित किया। सुरेश सरगम फलोज ने आज भी भारतीय संस्कृति में करवा चौथ ही स्त्री के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है रचना पढ़कर भारतीय संस्कृति व संस्कारों का वर्णन किया। प्राची पाठक बांसवाड़ा ने माँ का दुलार बाबा का अभिमान बेटियाँ, होती है अपने घर की तो शान बेटियाँ कविता सुनाई। कवि दिनेश पंछी ने आम काट के बबूल ही बोया फिर काहे को रो रिया, गणपति बाप्पा मोरिया देखो क्या क्या हो रिया गजल सुनाई। इस दौरान नवयुवक मंडल के भरत पटेल व सुरेश पटेल ने आभार जताया।
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