24 न्यूज अपडेट, नेशनल डेस्क। देश में इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की मंदिर-मस्जिद की गई टिप्पणी सुर्खियों में है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने अपनी संपादकीय में मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। पांचजन्य ने लिखा है कि मोहन भागवत का हालिया बयान समाज को इस मुद्दे पर समझदारी भरा रुख अपनाने का स्पष्ट संदेश देता है। संपादकीय में यह भी कहा गया कि भागवत के बयान ने देश में चल रही अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार से आगाह किया है। स्वार्थ के लिए मंदिर का प्रचार गलतःइसे राजनीति का हथियार न बनाएं। कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए मंदिरों का प्रचार कर रहे हैं और खुद को हिंदू विचारक के रूप में पेश कर रहे हैं।पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर के इस संपादकीय का शीर्षक मंदिरों पर यह कैसा दंगल’ है। कहा गया है कि भागवत का बयान गहरी दृष्टि और सामाजिक विवेक का आह्वान है।
इससे पहले आरएसएस के अंग्रेजी मुखपपत्र ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने संपादकीय में लिखा था कि सोमनाथ से लेकर संभल और उससे आगे का ऐतिहासिक सत्य जानने की यह लड़ाई धार्मिक वर्चस्व के बारे में नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान की पुष्टि करने और सभ्यतागत न्याय की लड़ाई है। कांग्रेस पर चुनावी लाभ के लिए जातियों का शोषण करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने जातियों को सामाजिक न्याय दिलाने में देरी की। जबकि अंबेडकर जाति-आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे दूर करने के लिए संवैधानिक व्यवस्था की।
ऐसे में दो अलग अलग राय होने से चर्चाओं का दौर चल रहा हैं आपको बता दें कि मोहन भागवत ने 19 दिसंबर को पुणे में कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इस तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है। इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है? भारत को दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं। भागवत के बयान के बाद मीडिया में दो धडे बंट गए थे। रोज जुबानी जंग चल रही थी। संपाकीय में लिखा गया कि इन मुद्दों पर अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार को बढ़ावा देना चिंताजनक है। सोशल मीडिया ने इसे और बढ़ाया है। कुछ असामाजिक तत्व खुद को सामाजिक समझदार मानते हैं। वे सोशल मीडिया पर समाज की भावनाओं का शोषण कर रहे हैं। ऐसे असंगत विचारकों से दर रहना जरूरी है।
पांचजन्य ने किया मोहन भागवत के बयान का समर्थन, कहा- भागवत का बयान गहरी दृष्टि और सामाजिक विवेक का आह्वान

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