24 न्यूज अपडेट, नेशनल डेस्क। सरकार ने कहा गड़बड़ी ज्यादा नहीं हुई, एनटीए ने कहा कि पेपरलीक का प्रभाव सीमित ही रहा। कल लग रहा था कि मानों सब पहले से मन बनाकर बैठे हैं कि किसी भी तरह से बला टालनी है। उन सवालों के जवाबों से बचना है जो जनता की अदालत में अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गए हैं। नीट की आज कांउसलिंग होनी थी वो भी स्थगित करने की ताजा खबर है। वजह साफ नहीं बताई गई हैं। काउंसलिंग की कोई नई डेट जारी नहीं की गई है। याने जिन्होंने मेहनत कर मुकाम बनाया वो सभी विद्यार्थी और वो सब सयाने छात्र जो सिस्टम में जांच से बचकर मेरिट में आ चुके हैं उन सबकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। एक और तबका है जो साइलेंटली देख रहा है व इंतजार कर रहा है कि किसी भी तरह से काउंसलिंग हो जाए। कोई फरक नहीं पड़ता है कि उनका स्कोर क्या था, कहां नंबर आएगा क्योंकि उन्होंने जैसा कि दस्तूर है, कुछ निजी विश्वविद्यालयों में सीटें बुक हो रही हैं खेल करोड़ों का है। हालत ये है कि यहां तो आंदोलन चल रहे हैं, लोग चर्चा कर रहे हैं कि छात्रों के भविष्य का क्या होगा जबकि वहां पर तैयारी हो रही है कि किसी भी सूरत में नीट यूजी कैंसल नहीं हो और उन्हें पैसा फेंको तमाशा देखो वाला मौका मिल जाए। सीटों के करोड़ों में अगेती सौदे हो रहे हैं जो सब जानते हैं कि कुछ कॉलेजों की लाइफलाइन है। पूरी की पूरी सिस्टमेटिक मंडी सजी है। लोग धनकुबैर बन लाइनें लगा कर खड़े हैं और रेट तय हो रही है। साफ कहा जा रहा है कि परीक्षा के मामले में जो होगा देखा जाएगा, आप तो पहले बुकिंग करवा लीजिए, बाद में आएंगे तो कुछ लाख की फीस और बढ़ जाएगी। बाहर देख लीजिए, बड़े बडे धन्ना सेठ लाइन में लगे हैं, उनकी बार्गेनिंग पावर भी ज्यादा है, बाद में सीट भी हाथ नहीं आएगी। कैसे व कौनसे कोटे में एडजेस्ट करना है यह देखना आपका नहीं, हमारा काम होगा। इस नीट एंड क्लीन कारोबार में जरिया तो नीट परीक्षा है लेकिन खेल का नेट-वर्क बहुत बड़ा, विशाल व व्यापक है। लाभार्थियों में नेताओं से लेकर अफसर तक शामिल हैं। करोड़ों के ये सीट के सौदे खटाई में पड़ जाएंगे अगर एग्जाम कैंसिल होता है तो। इधर, कुछ अभिभावक जिन्होंने एग्जाम होते ही सीट बुकिंग करवा दी थी वे अब रिफंड मांगने लगे हैं तो वहां भी दलालों की ओर से धमकाया जा रहा है कि रिफंड नहीं होगा। मजे की बात है कि इस लाखों की पेशगी की कोई रसीद नहीं है सिर्फ मौखिक जमा-खर्च है। परीक्षा कैंसिल हो गई तो अगली परीक्षा में एडजेस्ट हो जाएगा। अगर फिर भी पैसा वापस चाहिए तो कम से कम 15 लाख नॉन रिफंडेबल हैं।
बहरहाल, 11 जून को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर काउंसलिंग पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस असदुद्दीन ने सुनवाई के बाद काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। 20 जून को एक और याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने काउंसलिंग पर रोक लगाने से दोबारा इनकार किया था। इस परीक्षा में संशोधित रिजल्ट जारी होने के बाद टॉपरों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई है। काउंसलिंग कई चरणों में होती है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, ऑप्शन का चयन करने के बाद उसको लॉक करना, सीट एलॉटमेंट करना और आखिर में एलॉटेड कॉलेज में रिपोर्ट करना होता है। प्रक्रिया के दौरान ही सभी दस्तावेजों की भी जांच होती है। पेपर लीक, परीक्षा में हुईं गड़बड़ियों और ग्रेस मार्क्स के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 26 याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होने जा रही है। 22 याचिकाएं स्टूडेंट्स, टीचर्स, कोचिंग इंस्टीट्यूट और वेलफेयर एसोशिएशन की तरफ से दायर की गई हैं तो 4 याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से दायर हुई हैं। गुजरात के 56 स्टूडेंट्स ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि दो साल की कड़ी मेहनत और शत प्रतिशत लगन के साथ परीक्षा दी है। दोबारा परीक्षा कराना विद्यार्थियों के हित में नहीं है।
नीट यूजी की काउंसलिंग स्थगित, निराश हुए मेहनतकश छात्र, दूसरी तरफ करोड़ों में सीटों का गुप्त सौदा कर चुके छात्रों व परिजनों में बेचैनी, पैसा डूबने का अंदेशा, एडवांस वापस करने में आनाकानी कर रहे दलाल

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