24 न्यूज अपडेट. जोधपुर। जब तक इस दुनिया में पढ़े लिखे मूर्ख लोग हैं तब तक साइबर ठगों की चांदी ही चांदी है। रोज डिजिटल अरेस्ट के मामले आ रहे हैं। सरकारी मशीनरी और साइबर एक्सपर्ट बता-बता कर थक गए हैं कि इनके झांसे में नहीं आए मगर पढ़े लिखे व मोटी तनख्वाह वाले लोग भी ना जाने कैसे इनके झांसे में आ जाते हैं। अचरज की बात है कि ये अपने कॉमन सेंस का यूज तक नहीं करते। हर बार वही कहानी होती है। एक कॉल, उसके बाद कई-कई अफसरों के होने का झांसा देकर ईडी, सीबीआई, मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखा कर खाते से लाखों साफ कर दिए जाते है। इससे साफ होता है कि या तो पढे लिखे लोगों की स्कूलिंग सही नहीं हो रही है या फिर उनमें कॉमन सेंस का अभाव है। देश में कानून का राज चलता है। आखिर कोई कैसे किसी को फोन करके फंसाने की धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट कर सकता है। खबर पढ़ने वालों को संदेश है कि फालतू प्रपोगेंडा के मैसेज को छोड़ कर इस खबर का शेयर करें व खुद सतर्क रहें, दोस्तों, परिवारजनों को सतर्क करें। चर्चा करते रहें कि ऐसा भी होने लगा है ताकि ये देशद्रोही अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकें। साबइर शातिरों से लड़ने का यही एकमात्र उपाय है कि संगठित होकर अपनी सोच का दायरा बढ़ाकर इनसे डट कर मुकाबला किया जाए। कोई भी पुलिस एजेंसी फोन करके ना तो पैसा मांगती है ना ही इस तरह से धमकाती है। यदि धमकाती है तो उसके लिए कानूनी उपचारों का रास्ता खुला है। ऑनलाइन भुगतान करके कोई कैसे किसी को बचा सकता है।
बहरहाल अब जानते हैं कि लगातार घट रही घटनाओं के क्रम में अब क्या हुआ है। यह खबर है जोधपुर से जहां पर साइबर ठगों ने आईआईटी की प्रोफेसर को 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर करीब 12 लाख रुपए ठग लिए। खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर कहा कि प्रोफेसर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सस्पेक्ट है।एक पार्सल मुंबई में आया है, जिसमें ड्रग्स, पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड मिले हैं। इसलिए उसे सर्विलांस पर रहना होगा, नहीं तो गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने प्रोफेसर का माइंड वॉश कर लिया। सभी कम्युनिकेशन डिवाइस को कंट्रोल कर लिया। बैंक अकाउंट से पैसे ट्रांसफर करवा लिए। जोधपुर के करवड़ थाना में अब पीड़िता ने 13 अगस्त को मामला दर्ज करवाया है। सब इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार ने बताया- आईआईटी जोधपुर की असिस्टेंट प्रोफेसर अमृता पुरी (35) पत्नी नितेश अणिराव निवासी पटियाला (पंजाब) के साथ डिजिटल अरेस्ट की घटना हुई है। वह फिलहाल आईआईटी कैंपस में रहती हैं। अमृता ने रिपोर्ट में बताया कि मेरे पास 1 अगस्त को अलग-अलग नंबर से कई कॉल आए थे। मैंने कॉल रिसीव किया तो कॉलर ने खुद को पुलिसकर्मी बताया। कहा- आपका एक पार्सल मुंबई में आया हुआ है। इस पार्सल में एमडी ड्रग्स मिली है। साथ में कई पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड भी हैं। आप इसकी रिपोर्ट मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच में करवा दें। इसके बाद बदमाश ने खुद ही कॉल साइबर ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया। दूसरे व्यक्ति ने खुद को मुंबई की साइबर क्राइम ब्रांच का डीसीपी बताया। उसने कहा- आप मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंस गई हैं। इसलिए आपको सहयोग करना होगा, वरना अरेस्ट कर जेल भेज दिया जाएगा। यह सुनकर मैं डर गई थी। इसके बाद वे लोग जैसा कहते गए, मैं वैसा ही करती गई।
पुलिस ने बताया कि बदमाशों ने प्रोफेसर को लगातार सर्विलांस पर रखने की बात कही। उनके मोबाइल फोन को ठगों ने अपने कंट्रोल में ले लिया। कैमरा ऑन रखा और स्क्रीन शेयर कर लिए गए। यही नहीं, उनका लैपटॉप भी स्काइप ऐप के जरिए कंट्रोल में लिया गया। प्रोफेसर किसी से कॉन्टैक्ट भी नहीं कर सकती थी। प्रोफेसर जो भी करती, वह ठगों की निगरानी में था। 1 अगस्त से प्रोफेसर को सर्विलांस पर रखा गया था। 11 अगस्त को फाइनेंशियल वैरिफिकेशन की बात की गई। इसके बाद उनके सभी खातों और फंड्स की डिटेल ली। 12 अगस्त को यस बैंक के उनके एक अकाउंट में चेक से रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट के जरिए 11 लाख 97 हजार रुपए ट्रांसफर करवाए। पैसा ट्रांसफर होते ही उन लोगों ने प्रोफेसर के सभी कम्युनिकेशन डिवाइस से एक्सेस हटा लिए। तब प्रोफेसर को एहसास हुआ कि उनके साथ फ्रॉड हुआ है।
धरी रह गई प्रोफेसरी……..कॉमन सेंस से काम नहीं लिया, हो गई डिजिटल-अरेस्ट , 12 लाख ठगे, 12 दिन तक मोबाइल-लैपटॉप पर रखा कब्जा, मनी लॉन्ड्रिंग केस का भय दिखाकर लूटा,,,, बडी बात-जब तक पढे लिखे मूर्ख हैं तब तक साइबर ठगों के मजे हैं!

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