Site icon 24 News Update

द ग्रेट सेपरेटर पारस पथ : ‘पत्थर’ हुए ‘‘पारस‘‘, बोले-कार्यकाल खत्म, अब सामान्य नागरिक

Advertisements

24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। उप महापौर पारसजी सिंघवी ने पार्षद पद पर अपने कार्यकाल को खत्म घोषित कर दिया है। कल नगर निगम के चेम्बर से उनका सामान शिफ्ट हो गया था व महापौरजी को संदेसा भेज दिया गया कि – महापौर से कहना मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया। इस पर पार्टी में घमासान मच गया व मनाने के लिए आज सुबह महापौर जीएस टांक उनके घर पहुंचे। उनको साथ लेकर निगम के ऑफिस आए लेकिन निगम में पारस सिंघवी अपने चेम्बर में चुनिंदा मीडिया को बुलाकर कैमरों के सामने अपनी कुर्सी पर नहीं विराजे। उन्होंने कहा कि 19 तारीख को पार्षद बना था और 19 को ही मेरा कार्यकाल खत्म हो गया। इसलिए अब मैं पार्षद नहीं रहा। सामान्य आदमी के नाते आया हूं। दूसरे पार्षदों का कार्यकाल खत्म हुआ क्या? सवाल पर कहा कि उनके बारे में मैं नहीं कह सकता हूं। उन्होंने एक बार फिर पार्टी के प्रति अनुशासित सिपाही वाला जेश्चर दिया व कहा कि टांक साहब हमेशा आदरणीय हैं, मैं उनकी बात जीवन में कभी नहीं टाल सकता हूं। पद के सवाल पर कहा कि अगर सरकार कार्यकाल आगे बढ़ाएगी को फिर इसी कुर्सी पर बैठकर काम करूंगा। आपको बता दें कि उदयपुर नगर निगम के उप महापौर पारस सिंघवी एलिवेटेड रोड के मुद्दे पर शुरू से विरोध में थे जिसका परसों भूमि पूजन के समय क्लाइमैक्स आ गया और वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इसके बाद कार्यक्रम की जगह उनके नहीं आने के ज्यादा चर्चे हुए। मंच से कटारिया व महापोर ने भी इशारों-इशारों में तंज कर दिए तो राजनीतिक गर्मी और बढ़ गई।
आगे की राहें क्या होंगी
अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि पारस सिंघवी जैसे कद्दावर नेता की आगे की राहें क्या होंगी। क्या वे फिर पार्षद बनेंगे या इस बार टिकट का मोह छोड़ कर किसी अन्य धारा में बहना पसंद करेंगे। 24 न्यूज अपडेट ने इस बारे में उनका पक्ष जानना चाहा मगर उपलब्ध नहीं हुए। ऐसे में राजनीतिक कायासों के आधार पर कहा जा सकता है कि पारस के ‘पत्थर’ होने से राजनीतिक नफा या नुकसान होना तय है। उदयपुर की राजनीति में यह स्पष्ट रूप से कहा जाता है कि जो भी भाई साहब के गुट से बगावत करके यहां वहां हुआ, उसके पॉलिटिकल कॅरियर की गाड़ी पटरी से उतर गई। जो लोग वापस लौट कर भी भाई साहब की आभामंडल में लौटे, उनको भी लंबे समय तक लॉयल्टी टेस्ट देकर अपनी वफादारी साबित करनी पड़ी। पारस सिंघवी ने ताराचंद जैन को विधायक का टिकट मिलने पर भी विरोध का मोर्चा खोला था लेकिन नामांकन के बाद वे लौट आए थे। उससे पहले उप महापौर की कुर्सी रेस में भी उनका सीधा मुकाबला तब के पार्षद व वर्तमान विधायक ताराचंद जैन से हुआ था। वर्तमान भाजपा में जहां विरोध की आवाजों की गुंजाइश बहुत कम बची है और हर तरफ जी भाई साहब के नारे गूंजते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में द ग्रेट सेपरेटर पारस पथ पर उनका अग्रसर होना कई राजनीतिक पंडितों को अचंभे में डाल रहा हैं नए समीकरणों में ऐसे कौनसे नए एलिवेटेड ओवर ब्रिज बचे हैं जिनको पार करके पारस सिंघवी अपनी राजनीतिक दिखा खुद तय कर सकेंगे। भाई साहब के गुट का आभामंडल अभी भी दैदीप्यमान दिखाई दे रहा है मगर यह भी सच है कि उसके प्रकाश, प्रताप या विरोधियों के लिए राजनीतिक संताप का तेज कम जरूर हुआ है। कई समान सोच वाले उस मौके की तलाश में हैं जब डबल इंजन में उपर तक की इक्वेशन को बिठाते हुए पासा ही पलट दिया जाए। उसके लिए चुनाव से बेहतर मौका और कौनसा हो सकता है।
कल क्या हुआ था
उप महापौर पारस सिंघवी ने मंगलवार को निगम का अपना चैम्बर खाली किया व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को चाबियां संभलाते हुए कहा कि उनका कार्यकाल समाप्त हो गया है। वे चैम्बर से अपना सामान लेकर चले गए, निगम की कार लौटा दी व बुख बे-कार हो गए। महापौर को भी इस बारे में बता देना यह भी कह गए। हालांकि आजकल राजनीति ही एक बिजनेस हैं लेकिन सिंघवी पॉलिटिक्स के साथ ही बिजनेस में भी अच्छी दखल व प्रभाव रखते हैं। व्यापारियों की भावनाओं को देखते हुए उन्होंने एलिवेटेड रोड के भूमि पूजन से दूरी बनाए रखीं ।

Exit mobile version