24 न्यूज अपडेट. नई दिल्ली। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने हाल ही में एक वीडियो साझा किया है जिसमें चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पावर रिएक्टर नंबर 4 पर ड्रोन हमले का दावा किया गया है। इस घटना ने एक बार फिर दुनिया को 1986 की भयानक आपदा की याद दिला दी है और परमाणु सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
हमले का विवरण
आरोप: यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस हमले का आरोप रूस पर लगाया है। उन्होंने कहा कि विस्फोटकों से लैस एक रूसी ड्रोन ने चेर्नोबिल प्लांट के कंक्रीट से बने सुरक्षा कवच पर हमला किया।
नुकसान: हमले में सुरक्षा कवच को नुकसान पहुंचा है और इमारत में आग लग गई थी, जिसे बाद में बुझा दिया गया।
प्रतिक्रिया: रूस ने अभी तक इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्ट: IAEA ने हमले की पुष्टि की है और कहा है कि यूक्रेन में स्थानीय समय के अनुसार रात करीब 2 बजे यह हमला हुआ था।
चेर्नोबिल आपदा की पृष्ठभूमि
1986 की घटना: 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल के न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक बड़ा विस्फोट हुआ था। यह इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटनाओं में से एक थी।
प्रभाव: इस विस्फोट में 32 कर्मचारियों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग रेडिएशन की चपेट में आ गए थे। इस घटना के कारण 30 किलोमीटर के पूरे इलाके को खाली करवाना पड़ा था।
सुरक्षा कवच: विस्फोट के बाद रेडिएशन को रोकने के लिए पावर रिएक्टर नंबर 4 के ऊपर एक कंक्रीट की विशालकाय सुरक्षा कवच बनाया गया था।
हमले के निहितार्थ
परमाणु सुरक्षा को खतरा: इस हमले ने एक बार फिर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। ऐसे हमले न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं, बल्कि मानव जीवन को भी गंभीर खतरे में डाल सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: इस घटना पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया का इंतजार है। IAEA ने हमले की निंदा की है और सभी पक्षों से परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
यूक्रेन-रूस तनाव: यह हमला यूक्रेन और रूस के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और बढ़ा सकता है।
आगे क्या होगा
जांच: IAEA और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इस हमले की जांच कर सकते हैं।
सुरक्षा उपाय: इस घटना के बाद परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर और अधिक कड़े उपाय किए जा सकते हैं।
राजनीतिक परिणाम: इस हमले के राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं, खासकर यूक्रेन और रूस के संबंधों के संदर्भ में।
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