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गीता ज्ञान व्याख्यान माला: योग: कर्मसु कौशलम् पर हुआ उद्बोधन

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गीता परिवार द्वारा गीता जयंती पूर्व आयोजित गीता ज्ञान व्याख्यान माला के अंतर्गत हैप्पी होम स्कूल, प्रतापनगर में आयोजित कार्यक्रम में गीता चिंतक आशीष जी सिंहल ने “योग: कर्मसु कौशलम्” विषय पर विद्यार्थियों को प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भगवद्गीता का सार योग है और योग का अर्थ केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि कर्मों को कुशलतापूर्वक करने की कला है। उन्होंने बताया कि “योग: कर्मसु कौशलम्” का सीधा अर्थ है—कर्मों को निष्काम भावना और समर्पण के साथ करना। यह दृष्टिकोण न केवल जीवन को उत्कृष्ट बनाता है, बल्कि हर कार्य में संतुलन और आनंद भी लाता है।आशीष जी सिंहल ने बताया कि  योग का तात्पर्य मन, शरीर और आत्मा के सामंजस्य से है, जो हर कर्म को साधना बना देता है। कर्मों में निपुणता ही योग है। उन्होंने कर्मों में कुशलता का अर्थ केवल तकनीकी दक्षता से नहीं, बल्कि कार्य को ईश्वर अर्पण की भावना से करने से जोड़ा। व्यक्ति जब फल की चिंता किए बिना मनोयोग से कार्य करता है, तो वह गीता के कर्मयोग सिद्धांत का पालन करता है।

 विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि पढ़ाई, सेवा, और परिवार के प्रति कर्तव्य को भी कुशलता और निपुणता की भावना से किया जा सकता है।

मीडिया प्रभारी नरेश पूर्बिया ने बताया कि इस अवसर पर गीता परिवार के प्रचारक गोपाल कनेरिया ने “आओ गीता सीखें” ऑनलाइन निःशुल्क गीता कक्षा के बारे में जानकारी दी और 8 दिसंबर को निंबार्क कॉलेज में आयोजित होने वाले गीता जयंती महोत्सव का आमंत्रण दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ गौ भक्त सम्पत लाल माहेश्वरी द्वारा प्रार्थना से हुआ, जिसमें उन्होंने प्रार्थना के जीवन में महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रार्थना आत्मा की शुद्धि और मन की शांति के लिए आवश्यक है।

स्कूल की उप प्राचार्य निर्मला सालवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम का संयोजन गीता परिवार के रॉबिन चौधरी ने किया।

इस कार्यक्रम में 200 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और गीता के इस अमूल्य ज्ञान से प्रेरणा प्राप्त की।

24 न्यूज अपडेट. श्रीमद् भगवद गीता व्याख्यान माला का दूसरा सत्र महावीर विद्या मंदिर, प्रभात नगर में आयोजित किया गया।   सत्र में गीताव्रती संतोष दीदी ने कहा कि गीता संगम की त्रिवेणी है। भक्ति की प्रतीक मां गंगा, कर्म की प्रेरणा मां यमुना,  ज्ञान की स्वरूपा मां सरस्वती  का त्रिवेणी संगम  प्रयागराज में होता है। ठीक वैसे ही गीता ज्ञान, कर्म,भक्ति की त्रिवेणी है। जो मानव इसमें डुबकी लगाता जाता है उसका जीवन सफल और सार्थक बनता है ।  श्रीमद भगवदगीता में बताएं ध्यान योग का अभ्यास करवाया गया जिससे बच्चों में ध्यान के माध्यम से स्मरण शक्ति  और धारण शक्ति  का विकास हो । प्रकृति के संरक्षण में ही मानव के जीवन की सुरक्षा है इस संदर्भ में संरक्षण की उपयोगिता  बताते हुए कहानी  के माध्यम से बच्चों को प्रकृति से प्रेम करने के लिए प्रेरित किया। ओंकार प्रार्थना और कृष्ण तुम्हारी गीता हम भी सुनना चाहें गीत का सामूहिक गायन पुरोहित डा भूपेंद्र शर्मा ने करवाया। आभार नवनीत भट्ट ने ज्ञापित किया। गीता परिवार, उदयपुर से सुभाष चंद्र मेहता और गोवर्धन नंदवाना ने गीता ज्ञान से जीवन को सफल बनाने हेतु प्रेरित किया। सत्र में 300 विद्यार्थियों की सहभागिता रही। शनिवार 30 दिसंबर को एक साथ 15  विद्यालयों में गीता ज्ञान व्याख्यान माला सत्रों का आयोजन गीता जयंती आयोजन समिति की विभिन्न टोलियों द्वारा एक साथ किया जा रहा है ।

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