24 News update चित्तौड़गढ़: भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही कार्रवाई में कोटा एसीबी की स्पेशल टीम ने बड़ी सफलता हासिल की है। सोमवार को वन विभाग के दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ने के बाद, मंगलवार को एक महिला सहायक वनपाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इस महिला अधिकारी का भी रिश्वत की इस गोरखधंधे में हिस्सा था, जिसे 2% कमीशन मिलना तय था।
बिल पास करने के लिए चल रहा था खेल
सूत्रों के अनुसार, ठेकेदारों द्वारा किए गए कामों के भुगतान को पास करने के लिए वन विभाग के अधिकारी मोटी रकम की मांग कर रहे थे। चित्तौड़गढ़ मुख्यालय में तैनात बोराव रेंजर राजेंद्र चौधरी और लोटयाना नाका के सहायक वनपाल राजेंद्र मीणा को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद, महिला सहायक वनपाल पुष्पा राणावत की संलिप्तता भी सामने आई, जिसे टीम ने डिटेन कर पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।
रिश्वत का पैटर्न: अलग-अलग तरीके से ऐंठते थे पैसे
जांच में सामने आया कि आरोपी अधिकारी अलग-अलग तरीकों से रिश्वत वसूलते थे। सरकारी नरेगा मजदूरों से गड्ढे खुदवाने के बजाय जेसीबी मशीन से खुदाई करवाई जाती और फिर उसका बिल ठेकेदारों से वसूला जाता था। इतना ही नहीं, आरोपी अधिकारियों ने खुद की फर्जी फर्म बना रखी थी, जिससे वे सरकारी टेंडर भी हथिया लेते और फिर असली ठेकेदारों को काम देकर उनसे रिश्वत ऐंठते थे।
मजदूरों की शिकायत से खुली पोल
ठेकेदारों के बिल पास न होने की वजह से मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही थी, जिससे परेशान होकर उन्होंने जिला कलेक्टर से शिकायत की। मामले की जांच में सामने आया कि कुल 21 लाख के बिल पास करने के बदले रेंजर 20% (यानी 4.20 लाख) और सहायक वनपाल 2% (यानी 14-14 हजार) की रिश्वत मांग रहे थे।
रंगे हाथों दबोचे गए अधिकारी
शिकायत के बाद एसीबी ने पहले सत्यापन करवाया, जिसमें सहायक वनपाल राजेंद्र मीणा ने 50 हजार रुपए ले लिए। इसके बाद, एसीबी ने सोमवार को रेंजर और सहायक वनपाल को 78 हजार कैश और 1.20 लाख के सेल्फ चेक के साथ दबोच लिया। मंगलवार को महिला अधिकारी पुष्पा राणावत की गिरफ्तारी के साथ ही पूरा मामला खुलकर सामने आ गया।
आगे की कार्रवाई
तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 8 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। एसीबी की टीम अब इस मामले से जुड़े अन्य पहलुओं की भी जांच कर रही है, ताकि इस भ्रष्टाचार के जाल को पूरी तरह से खत्म किया जा सके।

