24 न्यूज अपडेट, नेशनल डेस्क। डोनाल्ड ट्रम्प का हालिया फैसला, जिसमें उन्होंने 50 साल पुराने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट को निलंबित कर दिया है, व्यापार जगत और वैश्विक राजनीतिक हलकों में व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। इस कानून के निलंबन के कारण अब अमेरिकी कंपनियों को विदेशों में व्यापारिक सौदे हासिल करने के लिए रिश्वत देना अपराध नहीं माना जाएगा। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से मात्र दो दिन पहले लिया गया है, जिससे इसकी राजनीतिक और कूटनीतिक महत्ता और बढ़ गई है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प ने न्याय विभाग को आदेश दिया है कि अमेरिकी नागरिकों पर अन्य देशों में व्यापारिक जीत के लिए रिश्वत देने के मामलों में मुकदमे न चलाए जाएं। भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी के खिलाफ अमेरिका में इसी कानून के तहत मामला दर्ज है। आरोप है कि अडाणी की कंपनी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स गलत तरीके से हासिल किए। इस योजना में सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (करीब 2,029 करोड़ रुपए) रिश्वत देने का आरोप है। इसके अलावा अमेरिकी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलकर धन जुटाने का भी मामला है। यह केस अक्टूबर 2024 में न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में दर्ज हुआ था। 1977 में लागू किए गए इस कानून का उद्देश्य था कि अमेरिका में रजिस्टर्ड कंपनियां व्यापारिक सौदों के लिए विदेशों में रिश्वत न दें। इस कानून के निलंबन से अमेरिकी कंपनियों को व्यापारिक अवसरों में वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक नैतिकता को चोट लग सकती है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस कदम से वैश्विक व्यापार में भ्रष्टाचार बढ़ेगा और अमेरिकी कंपनियों की साख को नुकसान पहुंचेगा।
खाउंगा, खाने भी दूंगा : अमेरिकी कंपनियों के लिए अब विदेश में रिश्वत देना अपराध नहीं

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