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आलोक एग्जाम सेंटर आए तो जरा सावधान : परीक्षार्थी को किया घनचक्कर, एडमिट कार्ड में लिखा-महिला थाने के पास आलोक स्कूल, दर-दर भटका स्टूडेंट, आलोक सेक्टर-11 पहुंचा तो घुसने नहीं दिया, बोले-दूसरा एडमिट कार्ड लाओ

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। आज सुबह एनटीए की परीक्षा थी और मावली से मोहम्मद यासीन अपने बेटे को एनटीए का एग्जाम दिलाने उदयपुर लेकर आए। एडमिट कार्ड पर परीक्षा केंद्र का पता लिखा था-आलोक सीनियर सेकण्डरी स्कूल भुवाणा प्रतापनगर बाईपास, महिला थाने के पास। वहां पर पिता-पुत्र दो घंटे तक घूमे, कोई आलोक स्कूल नहीं मिला। फिर किसी ने कहा कि फतहपुरा जाओ, वहां एक स्कूल है। फतहपुरा आलोक स्कूल गए तो वहां पर ना तो संतोषप्रद जवाब दिया, ना ही कोई फोन नंबर दिए जिस पर अपनी व्यथा बता सके। उसके बाद बाहर खड़े लोगों ने कहा कि एक आलोक स्कूल सेक्टर-11 में है। वहां से भाग कर आलोक स्कूल सेक्टर-11 आए तो बाहर देखा कि बच्चे को रोल नंबर लिस्ट में है। इस पर उन्हें तसल्ली हो गई कि चलो, आखिरकार पहुंच गए। लाइन में लगे और नंबर आया तो गेट पर ही वापस भेज दिया गया, बोले-नया एडमिट कार्ड लेकर आओ, सुबह के समय आस-पास कोई ई-मित्र नहीं खुला था तो पेरशान हो गए। एक एग्जाम में एडमिट कार्ड का प्रिंट क्या दो बार लिया जाता है? आखिरकार खूब मशक्कत के बाद एक ई-मित्र खुला मिल गया। वहां भी कुछ देर तक सर्वर की प्राब्लम आई व आखिरकार एडमिट कार्ड का नया प्रिंट निकल गया। इसके बाद एग्जाम के ऐने मौके पर गेट बंद होने से पहले साढ़े 9 बजे बच्चे को प्रवेश दिया गया। इस मामले में परीक्षा एजेंसी के साथ ही आलोक स्कूल की भी भारी लापरवाही सामने आई है। भुवाणा में महिला थाने के पास कोई आलोक स्कूल नहीं है। बताया जा रहा है कि ऐसी प्रिंटिंग मिस्टेक कुछ और बच्चों के साथ हुई। यदि ऐसा है तो अभिभावकों को संदेश देना चाहिए था, खबर जारी करनी थी। अभिभावक हैरान परेशान आलोक के फतहपुरा स्कूल पहुंच गया मगर वहां से टरका दिया गया। यदि स्कूल प्रबंधन चाहता तो तसल्ली से बात सुनकर कंट्रोल रूम से या फिर अपने ही दूसरे स्कूल से फोन करके पता कर सकता था कि बच्चे का रोल नंबर वहां पर है या नहीं। यदि एडमिट कार्ड में ही पता गलत आया है तो इसमें बच्चे की क्या गलती है। आलोक स्कूल को जवाब देना चाहिए कि ऐसी कौनसी परीक्षा है जिसमें दो-दो बार एडमिट कार्ड का प्रिंट देना पड़ता है। यदि गलत पता एडमिट कार्ड में आ गया है, बच्चा व पिता रिक्वेस्ट कर रहे हैं तो उन्हें बाहर ही ऐसा मजबूर और लाचार करना आलोक स्कूल की प्रतिष्ठा के भी खिलाफ है। बच्चे को प्रवेश देकर बाद में पिता से एडमिट कार्ड मंगवाया जा सकता था।

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