24 न्यूज अपडेट, जयपुर। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने ई-फाइलिंग सिस्टम लागू किया है जिसके नतीजे बेहद दिलचस्प है। हाल ही में सरकार ने ई-फाइलिंग सिस्टम में प्रदेश के 47 जिलों के कलेक्टरों की रैंकिंग जारी की है। इसमें नवगठित जिलों में तैनात कलेक्टर सबसे तेज गति में फाइलों का निपटारा कर रहे हैं। सलूंबर कलेक्टर सबसे तेज हैं, वे अपने कार्यालय में आने वाली एक फाइल 11 मिनट में निपटा रहे हैं। तीन जिलों के कलेक्टरों को फाइल निपटाने में 22 घंटे तक ले रहे है।ं सलूंबर, शाहपुरा, ब्यावर, केकड़ी, सांचौर, गंगापुर सिटी और खैरथल-तिजारा टॉप टेन में हैं व सलूंबर, शाहपुरा और सांचौर लगातार टॉप-1, 2, 3 स्थान पर बने हुए हैं। सलूंबर कलेक्टर जसमीत सिंह संधू, केवल 11 मिनट में एक फाइल निपटा रहे हैं। जबकि शाहपुरा कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत 21 मिनट में एक फाइल का निस्तारण कर रहे हैं। रैंक 8 पर अंकित कुमार सिंह कलेक्टर, डूंगरपुर हैं व उनका टाइमिंग एक घंटे 5 मिनट का है। डूंगरपुर के कलेक्टर अंकित कुमार सिंह आठवें नंबर पर हैं। राजसमंद, बीकानेर और चित्तौड़गढ़ में भंवरलाल, नमृता वृष्णि और आलोक रंजन कलेक्टर हैं। भंवरलाल 13 घंटे 22 मिनट, नमृता 15 घंटे 2 मिनट और रंजन 22 घंटे 22 मिनट का समय लेकर एक फाइल निपटा रहे हैं जो सबसे खराब परफॉरमेंस है। उदयपुर जिला कलेक्टर 25 से 44 के बीच खराब टाइमिंग की सूची में आ रहे हैं। 25 वें नंबर पर अजमेर की कलेक्टर हैं । वे 4 घंटे 5 मिनट में एक फाइल निपटा रही हैं। उनके बाद 44 वें नंबर तक जो कलेक्टर हैं, वे 4 घंटे से लेकर 9 घंटे 47 मिनट तक का समय औसतन एक फाइल में लगा रहे है। इसमें नमित मेहता (भीलवाड़ा), अरविंद पोसवाल (उदयपुर), अंजलि राजोरिया (प्रतापगढ़) और इंद्रजीत यादव (बांसवाड़ा) शामिल हैं। अब इस मामले में आलोचना भी हो रही हैं कहा जा रहा है कि फाइलों के निस्तारण पर ज्यादा जोर दिए जाने से जिलों में कलेक्टर के स्तर पर फील्ड वर्क, निरीक्षण, दौरे, रात्रि चौपाल, सुनवाई जैसे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कलेक्टरों का कहना है कि फाइल निपटाना भी महत्वपूर्ण है, लेकिन फील्ड वर्क जिला कलेक्टर के कार्यों में सबसे खास होता है। सभी एक्सपर्ट की यही राय है कि इस तरह की फाइलिंग से होना जाना कुछ भी खास नहीं है केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगी। आपको बता दें कि कोई भी अधिकारी खासकर जिला कलेक्टर फाइल को कब तक बिना फैसला किए खुद के पास रोकता है, इस बात की जानकारी मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर फाइलें निपटाने में सलूंबर कलेक्टर सबसे तेज, उदयपुर कलेक्टर 44वें नंबर पर
- सलूंबर कलेक्टर 11 मिनट में निपटा रहे फाइल, उदयपुर कलेक्टर को लगते हैं 4 घंटे से 9 घंटे
24 न्यूज अपडेट, जयपुर। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने ई-फाइलिंग सिस्टम लागू किया है जिसके नतीजे बेहद दिलचस्प है। हाल ही में सरकार ने ई-फाइलिंग सिस्टम में प्रदेश के 47 जिलों के कलेक्टरों की रैंकिंग जारी की है। इसमें नवगठित जिलों में तैनात कलेक्टर सबसे तेज गति में फाइलों का निपटारा कर रहे हैं। सलूंबर कलेक्टर सबसे तेज हैं, वे अपने कार्यालय में आने वाली एक फाइल 11 मिनट में निपटा रहे हैं। तीन जिलों के कलेक्टरों को फाइल निपटाने में 22 घंटे तक ले रहे है।ं सलूंबर, शाहपुरा, ब्यावर, केकड़ी, सांचौर, गंगापुर सिटी और खैरथल-तिजारा टॉप टेन में हैं व सलूंबर, शाहपुरा और सांचौर लगातार टॉप-1, 2, 3 स्थान पर बने हुए हैं। सलूंबर कलेक्टर जसमीत सिंह संधू, केवल 11 मिनट में एक फाइल निपटा रहे हैं। जबकि शाहपुरा कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत 21 मिनट में एक फाइल का निस्तारण कर रहे हैं। रैंक 8 पर अंकित कुमार सिंह कलेक्टर, डूंगरपुर हैं व उनका टाइमिंग एक घंटे 5 मिनट का है। डूंगरपुर के कलेक्टर अंकित कुमार सिंह आठवें नंबर पर हैं। राजसमंद, बीकानेर और चित्तौड़गढ़ में भंवरलाल, नमृता वृष्णि और आलोक रंजन कलेक्टर हैं। भंवरलाल 13 घंटे 22 मिनट, नमृता 15 घंटे 2 मिनट और रंजन 22 घंटे 22 मिनट का समय लेकर एक फाइल निपटा रहे हैं जो सबसे खराब परफॉरमेंस है। उदयपुर जिला कलेक्टर 25 से 44 के बीच खराब टाइमिंग की सूची में आ रहे हैं। 25 वें नंबर पर अजमेर की कलेक्टर हैं । वे 4 घंटे 5 मिनट में एक फाइल निपटा रही हैं। उनके बाद 44 वें नंबर तक जो कलेक्टर हैं, वे 4 घंटे से लेकर 9 घंटे 47 मिनट तक का समय औसतन एक फाइल में लगा रहे है। इसमें नमित मेहता (भीलवाड़ा), अरविंद पोसवाल (उदयपुर), अंजलि राजोरिया (प्रतापगढ़) और इंद्रजीत यादव (बांसवाड़ा) शामिल हैं। अब इस मामले में आलोचना भी हो रही हैं कहा जा रहा है कि फाइलों के निस्तारण पर ज्यादा जोर दिए जाने से जिलों में कलेक्टर के स्तर पर फील्ड वर्क, निरीक्षण, दौरे, रात्रि चौपाल, सुनवाई जैसे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कलेक्टरों का कहना है कि फाइल निपटाना भी महत्वपूर्ण है, लेकिन फील्ड वर्क जिला कलेक्टर के कार्यों में सबसे खास होता है। सभी एक्सपर्ट की यही राय है कि इस तरह की फाइलिंग से होना जाना कुछ भी खास नहीं है केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगी। आपको बता दें कि कोई भी अधिकारी खासकर जिला कलेक्टर फाइल को कब तक बिना फैसला किए खुद के पास रोकता है, इस बात की जानकारी मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर पहुंचती है। इसका पल पल का हिसाब रहता है। सीएस सुधांश पंत इसलिए इसे आगे बढा रहे हैं क्योंकि वे मानते हैं कि फाइलों को रोकना, बेवजह ज्यादा समय तक दबाए बैठे रहना और उन पर समय पर निर्णय नहीं करना उचित नहीं है।
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