24 न्यूज अपडेट उदयपुर। आज फिर अनहोनी हो गई। फतहसागर और गंगू कुण्ड ने दो घरों के चिराग बुझा दिए। सुबह स्विमिंग सीखने परिजनों के साथ आए युवक की फतहसागर में मौत हो गई तो गंगू में भी नहाने आया युवक जान गंवा बैठा। डूबने के बाद फिर वही भीड, निकालने की मशक्कत, मोबाइल कैमरों से वीडियो बनाते लोगों का हजूम और आंख खुलते ही बुरी खबर मिलने पर अलसायी आंखों से अफसोस जताते शहरवासी। कौन था, कहां रहता था, कोई मिलने वाला या जान पहचान का या रिश्तेदार तो नहीं??? सरीखे सवालों से लेकर……बुरा हुआ, ध्यान रखना चाहिए था, लापरवाही से ऐसा हुआ, तैरना नहीं जानता था तो गया क्यों? जैसे ढेरों सवालों की फेहरिस्त जिसमें……कहां थे लाइफ गार्ड, किसी ने रोका क्यों नहीं,,,,,, बोर्ड लगा है तो सख्ती क्यों नहीं? ……रोक लेते तो जान बच जाती?? आखिर कब तक ऐसा होता रहेगा तक के प्रश्न पीछा करने लग रहे हैं? फतहसागर में मादड़ी लिंक रोड स्थित छोटी पीपली चौक निवासी मंथन (23) पुत्र देवेंद्र सिंह अधिकारी और गंगू कुंड में खटीकवाड़ा निवासी प्रहलाद (42) पुत्र नाथू खटीक की डूबने से मौत हुई है।
सिविल डिफेंस की टीम की मशक्कत के बाद शव निकाले गए, मोर्चरी में रखवाए गए। जान-पहचान वालों, परिजनों और परिचितों का यह सब देख कलेजा मुंह को आ गया,,,,,,,,और दोपहर तक सब सामान्य हो जाएगा। आखिर कुसूर किसका है। बिना परमिशन तैरने जाने वालों का या वहां तैनात उन लोगों का जिनकी जिम्मेदारी है कि लोगों को तैरने से रोकें? सवाल ये है कि सैंकड़ों लोगों को कैसे रोके?? मगर उससे बड़ा सवाल ये कि आखिर क्यों ना रोकें???? अगर किसी की जान बचाने का सवाल हो तो सैंकडों तो क्यों हजारों लोग तैरने आ जाएं तो उनको भी आखिर क्यों ना दल बल के साथ रोकें?
डूबने का यह सिलसिला आखिर कब तक चलता रहेगा? कब तक अफसोस जताने के बाद फिर दूसरे हादसों के सिलसिलों का भंवर चलता रहेगा। गंगू कुण्ड में कुछ दिन पहले ही दो जने डूब गए थे। तब कड़े कदम उठाने की बात हुई थी, नहीं नहाने का बोर्ड लगा, सख्ती और निगरानी हुई,,,,उसका क्या हुआ। फतहसागर पर पहले से रोक है, बोर्ड लगे हुए हैं चेतावनी के, लेनिक उसका क्या हुआ? हादसों के बाद मौत वाले घर से जो चीखें उठ रही है क्या वो प्रशासन के कानों तक पहुंच भी रही है या फिर सुनकर भी अनसुना किया जा रहा है। जिम्मेदारी सिविल सोसायटी से लेकर हर उस व्यक्ति की है जो शहर के बारे में संवेदनशीलता के साथ सोचता है। मां समान झीलें और गंगाजी का चौथा पाया क्या लोगों के डूबने के लिए बना है??? इतने हाईटेक जमाने में हम आखिर क्यों झीलों पर लोगों की सुरक्षा पर इन्वेस्ट नहीं कर रहे हैं यह समझ के परे है। शहर में डिवाइडर बार-बार बना कर तोड़ने या आयड़ में नदी के पेंदे में बहने के लिए लगाए जा रहे पत्थरों से भी कम खर्चे में झीलों पर सुरक्षा के ऐसे स्थायी बंदोबस्त हो सकते हैं कि किसी के डूबने की नौबत ही ना आए। लेकिन प्रशासनिक और राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है जो यहां कभी थी ही नहीं।
ट्यूब हाथ से छूटा और दुनिया से हो गया विदा
फतहसागर झील के ओवरफ्लो के पास स्वीमिंग के दौरान युवक की मौत हुई। साथ में स्वीमिंग करने वालों ने भी शोर मचाया लेकिन युवक गहराई में चला गया। सिविल डिफेंस टीम ने शव को निकाला। उदयपुर शहर के मादड़ी लिंक रोड स्थित छोटी पीपली चौक निवासी मंथन (23) पुत्र देवेंद्र सिंह अधिकारी के रूप में पहचान हुई। सुबह करीब 6 बजे मंथन चाचा और बेटियों के साथ फतहसागर तैरने आया। थोड़ी देर ट्यूब से स्विमिंग करता रहा। इस दौरान ट्यूब छूट गया और गहरे पानी में डूब गया। गोताखोर टीम में नरेश चौधरी, विपुल चौधरी, रवि शर्मा, नामित चौहान, दिव्यांशु वैष्णव, कृष्णदत्त पंवार, कैलाश गमेती, पुरुषोत्तम कुमावत, प्रवीण सिंह राठौड़ बचावकर्मी सुरेश सालवी, मुकेश सेन, वाहन चालक दिनेश खटीक आदि मौजूद रहे। इधर, गंगू कुंड में 42 साल के युवक खटीकवाड़ा निवासी प्रहलाद (42) पुत्र नाथू खटीक की मौत हो गई। सुबह साढ़े नौ बजे नहाने गए 42 वर्षीय व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई। भूपालपुरा पुलिस और सिविल डिफेंस टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन कर उसे 15 मिनट बाद निकाला।
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