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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। विधानसभा में हंगामे के बाद यूडीए को तीन दिन की मोहलत दी गई और उसे विधानसभा सचिवालय में जवाब भेजना है कि जीबीएच में अतिक्रमण को सीज किया या नहीं। यदि जवाब नहीं भेजा तो अफसरों पर कार्रवाई होनी है। ऐसे में आज तीसरे दिन प्रशासन सुबह से मुस्तैद हो गया है। जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल प्रतापनगर में आज सुबह करीब 9 बजे से यूडीए का जाप्ता अधिकारियों और दलबल के साथ अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंचा है। इससे पहले जीबीएच अस्पताल के कर्मचारी, नर्सिंग स्टाफ आदि खुलकर कार्रवाई के विरोध में आ गए। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है व अन्याय हो रहा है। कर्मचारियों ने फूलसिंह मीणा हाय-हाय के नारे लगाए और जमकर खरी खोटी सुनाई। उन्होंने जब तक सूरज चांद रहेगा, जीबीएच का नाम रहेगा के नारे भी बुलंद किए। कशमकश के बीच खबर लिखे जाने तक तीन हॉस्टलों की उपरी मंजिलों को सीज किया गया है जिनके बिना अनुमति के बने होने का आरोप है। दस्ता आगे बढ़कर मुख्य परिसर में पहुंचना चाह रहा है लेकिन कर्मचारी आड़े आ गए हैं। उनका कहना है कि अस्पताल में मरीज भती हैं ऑपरेशन थिएटर हैं व जिन मंजिलों को सीज करने की बात कही जा रही है वहां पर क्रिटिकल केयर वाले मरीज भी हैं। ऐसे में आनन फानन में कार्रवाई करना अमानवीय और गलत है। हॉस्पिटल में दो माले बने हुए हैं यूडीए उनको सीज करना चाहता है। तहसीलदार, डीवाईएसपी छगन पुरोहित व अन्य अधिकारी सुबह से मौके पर हैं। बताया जा रहा है कि इसी तर्क के साथ हो सकता है कि न्यायिक उपचार का रास्ता भी तलाशा जा रहा है। हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से सिक्योरिटी स्टाफ बाउंसर भी तैनात हैं।
मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि केवल द्वेषतावश और राजनीतिक स्वार्थ के चलते यह सब किया जा रहा है ताकि उनकी रोजी रोटी पर आंच आ जाए। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने विधायक फूलसिंह मीणा को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि को जनता के पक्ष में खड़ा होना चाहिए जबकि मीणा कुछ लोगों का स्वार्थ सिद्ध करने के लिए उनके ही खिलाफ यह कार्रवाई करवा रहे हैं। अवैध निर्माण तो कानूनी बात है लेकिन अस्पताल में भर्ती मरीजों की पीड़ा को तो कम से कम फूलसिंह मीणा को समझना चाहिए। प्रदर्शन करने वालों ने कहा कि उदयपुर में ही कई हॉस्पिटल हैं जो या तो तालाब पेटे पर बने हुए हैं या पहाड़ियों को काट कर बनाए गए हैं। उन सबकी जांच हो जाए तो शायद ही कोई हॉस्पिटल बचे जिसने निर्माण स्वीकृति के अनुसार ही निर्माण किया हो। यदि कार्रवाई करनी है तो सबकी एक साथ की जाए। प्रभावशाली लोग और राजनेता मिलकर यह खेल किसी खास तरह की लॉबी को लाभ पहुंचाने के लिए कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर अवैध निर्माण हो गए तो यूआईटी के वो अफसर कौन हैं जिनके कार्यकाल में ये सब निर्माण हुए, उनको भी तुरंत सस्पेंड करना चाहिए। विधायक मीणा को उनको भी विधानसभा में तलब करवाना चाहिए। विधायक मीणा तीन बार से विधायक हैं उनको बताना चाहिए कि उन्होंने इस मामले को कब-कब व कितनी बार उठाया। कब आंदोलन किए। यदि वे भाजपा के शासन काल में भी चुप रहे तो उसका क्या कारण था।
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