24 न्यूज अपडेट. जयपुर। गहलोत राज में बने नए जिलों और संभाग के बाद सरकार अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के रिव्यू की तैयारी कर रही है। तीन हजार इंग्लिश मीडिया स्कूल या तो बंद हो सकते है या फिर उन्हें मर्ज किया जाएगा। रिव्यू के आदेश हो गए हैं और बंद भी हो सकते है। अंग्रेजी स्कूलों का रिव्यू के लिए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब कमेटी बनाई है। कैबिनेट सब कमेटी में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और खाद्य मंत्री सुमित गोदारा को मेंबर बनाया गया है। यह कमेटी जिलेवार अंग्रेजी स्कूलों का रिव्यू करके सरकार को रिपोर्ट देगी। जिन स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ नहीं है और बच्चे कम है उनको बंद किया जा सकता है। आपको बता दें कि अंग्रेजी स्कूलों को लेकर कई जगह से आपत्ति आई थी। कई जगहों पर हिंदी मीडियम स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में बदल गया था पर आनन फानन में होन से पर्याप्त स्टाफ नहीं थाव बच्चे परेशान थे। अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के रिव्यू के बाद इन पर फैसला करने के तीन विकल्प हैं। जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या कम है और पर्याप्त स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है उन स्कूलों को बंद करने पर भी फैसला हो सकता है। दूसरा विकल्प उन अंग्रेजी स्कूलों को हिंदी मीडियम में बदलने का है और तीसरा विकल्प मर्ज करने का है। आपको बता दें कि इससे पहले भी कांग्रेस सरकार के पांच साल के दौरान खोले गए महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों पर खूब सियासी विवाद हुआ। बीजेपी ने स्कूलों पर पहले सवाल उठाए थे। दिलावर ने सरकार बनते ही अंग्रेजी स्कूलों को बंद करने के संकेत दिए थे, लेकिन बाद में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। बजट सत्र से ठीक पहले अंग्रेजी स्कूलों का रिव्यू करने कमेटी बनाकर नए सिरे से विवाद की शुरुआत होने से कांग्रेस को मुददा मिल गया हैं गहलोत सरकार ने अंग्रेजी स्कूलों के लिए 10 हजार शिक्षक भर्ती करने और अंग्रेजी स्कूलों के शिक्षकों का अलग से कैडर बनाने की घोषणा की थी। लेकिन प्रक्रिया अटक गई।
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