
24 न्यूज अपडेट, जयपुर। जयपुर में मौसम विभाग की बहुप्रतीक्षित, अत्यंत संवेदनशील और गरमागरम कार्यशाला का आयोजन 3 और 4 अप्रैल को किया गया। इसका विषय था हीट वेव और प्री-मानसून गतिविधियों से कैसे निपटें? इसके चित्र आज विभाग की ओर से ट्विटर एक्स पर जारी किए गए। फोटो सामने आया तो राज खुल गया। चर्चा हो रही थी एसी की ठंडी हवा में। यानी, गर्मी से झुलसते राजस्थान के लिए रणनीति बन रही है उस कमरे में जहां तापमान मनचाही डिग्री पर स्थिर रखा गया है। पंखा भी मानो कह रहा है कि “भाई मेरे, मेरी क्या ज़रूरत थी?“ राजस्थान में तापमान की रफ्तार जबर्दस्त व जानलेवा है। गर्मी सहन करना मश्किल हो रहा है। बाड़मेर में 44.7 डिग्री, जैसलमेर में 45.2 डिग्री, और हनुमानगढ़ ने तो 46 डिग्री पार कर जैसे कह दिया है कि “ये तो बस झलक है, असली आग तो जून में देखना!“ अब सोचिए, जिस किसान की फसल सूख रही है, जो मजदूर सड़क पर काम करते हुए पसीने से तर-बतर हो रहा है, जो आमजन सड़कों पर चलते चलते थक हार कर त्राहिमाम कर रहा है। उनके लिए एसी में बैठकर यह निर्णय लिया जा रहा है कि “गर्मी से बचाव कैसे किया जाए?” इसमें यह प्रस्ताव जरूर आए होंगे कि “हमें आमजन को जागरूक करना चाहिए।” तो किसी ने कहा होगा कि “प्री-मानसून गतिविधियों की भविष्यवाणी के लिए उपग्रह डेटा को गहराई से समझना जरूरी है।” या फिर “गर्मी में नागरिकों को ओआरएस बांटा जाए।” लोगों को समझाया जाए कि जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकलें अन्यथा नहीं निकलें। बाद में सबने ठंडी आहें भरी होंगी कि “अरे वाह! ठंडी हवा में सोचने का मज़ा ही कुछ और है!” इस ऐतिहासिक कार्यशाला में सबसे ज़्यादा आनंद उस चायवाले की चाय का आया होगा जो बाहर 45 डिग्री तापमान में बनकर अंदर आई व सबको गर्मी का अहसास करवा गई। “हीट वेव एक्सपर्ट्स“ ठंडी हवा में गरम चाय की चुस्कियां ले आनंदित हो रहे होंगे।
ये कार्यशाला नहीं, एक “ठंडी विडंबना” है। जिस कमरे में एसी के नीचे बैठकर गर्मी से निपटने के गुर सिखाए जा रहे थे, उस कमरे से बाहर मोबाइल पर मौसम विभाग की चेतावनी चमक रही है। “अगले 5 दिन लू चलने की संभावना, अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें।“ पर सवाल ये है कि जिनके पास एसी नहीं है, वो कहां जाएं? मौसम विभाग ने खुद के लिए तो ठंडे ठिकानों का इंतजाम कर रखा है। पूरी सरकारी मशीनरी ने भी कर रखा है। आम आदमी जाए तो कहां पर जाए। अगली बार अगर वाकई में हीट वेव पर गंभीरता से चर्चा करनी हो, तो कार्यशाला खुले मैदान में रखिए। जहां गर्मी असल में महसूस हो।
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