राजस्थान का समावेशी विकास मॉडल जनजाति सशक्तिकरण की लिख रहा नई इबारत
✍️ जयेश पण्डया
सहायक जनसंपर्क अधिकारी, उदयपुर
उदयपुर, 5 नवम्बर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार “सबका साथ-सबका विकास” की भावना के साथ जनजातीय अंचलों के सर्वांगीण उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समावेशी और आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के विकास हेतु ठोस नीतियां और योजनाएं बनाकर उन्हें प्रभावी रूप से धरातल पर उतारा है।
राज्य का जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, जल प्रबंधन, रोजगार और संस्कृति संरक्षण के क्षेत्रों में समावेशी विकास के मंत्र के साथ तीव्र गति से कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में “अपनी भूमि, अपनी संस्कृति और अपने अधिकारों की रक्षा” की बिरसा मुंडा विचारधारा आज राज्य की नीतियों में साकार रूप ले रही है।
जनजातीय क्षेत्रों के लिए बढ़ाया गया टीएसपी फंड
राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के सशक्तिकरण के लिए टीएसपी फंड 1,000 करोड़ से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपए किया है।
साथ ही गोविंद गुरू जनजाति क्षेत्रीय विकास योजना प्रारंभ की गई है।
देवला-कोटड़ा (उदयपुर) और जसवंतपुरा (जालोर) में नए आवासीय विद्यालय तथा शाहबाद (बारा) में सहरिया जनजाति खेल अकादमी की स्थापना की जा रही है।
250 नए मां-बाड़ी केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं ताकि बच्चों को घर के निकट शिक्षा और पोषण मिल सके। वहीं शिक्षाकर्मियों, महिला सहयोगिनियों और स्वास्थ्यकर्मियों के मानदेय में 10 प्रतिशत वृद्धि की गई है।
शिक्षा और कौशल विकास से सशक्त हो रहे युवा
राज्य के 446 आश्रम छात्रावासों में 25,000 से अधिक विद्यार्थी निःशुल्क आवास, भोजन और शिक्षा सुविधा प्राप्त कर रहे हैं।
मेस भत्ता बढ़ाकर ₹3,000 से ₹3,250 प्रतिमाह किया गया है।
23 आवासीय विद्यालयों में 3,800 विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
30 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों में लगभग 10,000 विद्यार्थी डिजिटल लर्निंग और खेल सुविधाओं के साथ अध्ययनरत हैं।
मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत 878 छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है।
युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण के लिए सीपेट जयपुर, आईडीटीआर रेलमगरा और अशोक लीलैंड प्रशिक्षण केंद्र में व्यावसायिक कोर्स प्रदान किए जा रहे हैं।
खेल, संस्कृति और जल संरक्षण में नए आयाम
राज्य में संचालित 13 खेल अकादमियों में 895 छात्र प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
खेल छात्रावासों में मेस भत्ता ₹4,000 प्रतिमाह कर दिया गया है।
जल संरक्षण के लिए जनसहभागिता के साथ एनिकट निर्माण, नहर सुदृढ़ीकरण और जल संरचना पुनरोद्धार कार्य किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री का मानना है कि “सच्चा विकास वही है जिसमें समाज की भागीदारी हो”, यही दृष्टिकोण योजनाओं में झलकता है।
जनजाति नायकों के गौरव की पुनर्स्थापना
राज्य सरकार डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर में जनजाति नायकों के स्मारक और वीर बालिका कालीबाई संग्रहालय का निर्माण करा रही है, जिसके लिए ₹25 करोड़ स्वीकृत हुए हैं।
सीताबाड़ी, कमलनाथ महादेव और जावर माता मंदिर जैसे आस्था स्थलों पर सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
सहरिया क्षेत्र में 17 मल्टी पर्पज सेंटरों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 8 पूर्ण हो चुके हैं।
नवाचारों से बदलता जनजातीय परिदृश्य
ईएमआरएस उदयपुर के विद्यार्थियों ने इसरो के सहयोग से “जयकार प्रोग्राम” के तहत अंतरिक्ष विज्ञान का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान में “बनफूल डिजाइन स्टूडियो” की स्थापना से जनजातीय कला को नया जीवन मिला है।
आबूरोड में एम्स जोधपुर के सहयोग से सैटेलाइट सेंटर फॉर ट्राइबल हेल्थ एंड रिसर्च स्थापित हुआ है, जहां प्रधानमंत्री ने ड्रोन दवा आपूर्ति सुविधा का शुभारंभ किया।
सामुदायिक भागीदारी की नई पहल — “अमृत कलश योजना”
सीएसआर और स्वयंसेवी संगठनों की सहभागिता से अमृत कलश योजना प्रारंभ की गई है।
विद्यार्थियों को IIM उदयपुर, IIT जोधपुर, NLU और KVK जैसे संस्थानों का भ्रमण कराया गया।
माई मिशन कार्यक्रम के तहत 40 विद्यार्थियों को RPSC परीक्षा 2024 की निःशुल्क कोचिंग दी गई।
आरएसएमएम लिमिटेड के सीएसआर सहयोग से जनजाति खिलाड़ियों की लैक्रॉस टीम इंडिया ने उज्बेकिस्तान में एशियाई प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।
तृतीय राष्ट्रीय लैक्रॉस चैंपियनशिप 2025-26 में 55 जनजाति खिलाड़ियों ने 5 स्वर्ण और 1 कांस्य पदक अर्जित किए।
सम्मान और प्रेरणा की मिसाल
जनजाति क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा रहा है।
4 अक्टूबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदि-गौरव सम्मान समारोह में 17 व्यक्तियों को शिक्षा, कला, खेल और समाजसेवा के लिए सम्मानित किया।
15 नवम्बर 2024 को बांसवाड़ा में बिरसा मुंडा 150वीं जयंती समारोह में 27 जनजाति नायकों को सम्मानित किया गया।

