24 न्यूज़ अपडेट, झुंझुनूं |
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की संवेदनशीलता एक बार फिर सामने आई है। झुंझुनूं जिले के मंडावा कस्बे में पिछले 15 वर्षों से बेड़ियों में जकड़े मानसिक विमंदित मुस्तफा शेख को राज्य सरकार ने शुक्रवार को मुक्त करवा दिया। अब उनका निशुल्क इलाज मनोचिकित्सालय, जयपुर में करवाया जाएगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को जब इस मामले की जानकारी मिली, तो उन्होंने तत्काल संज्ञान लेते हुए जिले के प्रभारी मंत्री और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत को निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक डॉ. पवन पूनिया को मय टीम मौके पर भेजा। प्रशासनिक टीम ने मुस्तफा शेख को बेड़ियों से मुक्त करवाकर तत्काल एंबुलेंस के जरिए जयपुर स्थित मनोचिकित्सालय भिजवाया।
बेड़ियों से मिली आज़ादी, परिवार की आंखों में छलके आंसू
प्रशासनिक टीम के पहुंचने के बाद मुस्तफा शेख को नहलाया गया, उनके कपड़े बदले गए और उन्हें पूरी तरह तैयार कर जयपुर भेजा गया। इस दौरान उनकी बहन शाबिरा की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत का आभार जताया। शाबिरा ने कहा,
“मेरा भाई सालों से इस स्थिति में था, हमने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। अब सरकार ने जो कदम उठाया है, उसके लिए हम तहेदिल से शुक्रगुजार हैं। हमें उम्मीद है कि मुस्तफा जल्द ठीक होकर घर लौटेगा।”
‘जंजीर से जीवन’ अभियान के तहत तीसरा मामला, सरकार करवा रही निशुल्क इलाज
गौरतलब है कि प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार ‘जंजीर से जीवन’ अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत जिले में जंजीरों में जकड़े मानसिक विमंदित व्यक्तियों को मुक्त कर उनके इलाज की व्यवस्था करवाई जा रही है। इससे पहले जिले के केहरपुरा और इस्लामपुर में भी इसी अभियान के तहत मानसिक विमंदित व्यक्तियों को मुक्त कर इलाज के लिए जयपुर भेजा गया था।
प्रशासन की तत्परता से हुआ सफल रेस्क्यू
इस पूरे अभियान में जिला प्रशासन की अहम भूमिका रही। मौके पर जिला जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह, बीएसएसओ निखिल कुमार, पूर्व सरपंच सज्जन पूनिया, मुस्तफा शेख के भांजे साहिल, अन्य परिवारजन, पड़ोसी, मीडिया कर्मी समेत ग्रामीण भी मौजूद रहे।
राज्य सरकार द्वारा मानसिक विमंदितों के पुनर्वास और उपचार के लिए किए जा रहे प्रयासों की स्थानीय लोगों ने भी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अभियान उन परिवारों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है, जो मानसिक विमंदित परिजनों के इलाज की सुविधा से वंचित हैं।
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