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आदिवासी नेताओं ने कहा- कोटड़ा आज भी ‘कालापानी’, 40 साल बाद भी हालात जस के तस

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24 news Update उदयपुर, “सरकारी कर्मचारियों को अगर सजा देनी हो, तो उन्हें कोटड़ा भेज दो”— यह कहावत आज भी सच लगती है। कोटड़ा आज भी कालापानी बना हुआ है, जहां आज़ादी के 75 साल बाद भी विकास केवल भाषणों और योजनाओं में सिमटकर रह गया है।
यह बात अखिल भारतीय किसान सभा और आदिवासी जन अधिकार एका मंच द्वारा शुक्रवार को कोटड़ा में आयोजित आम सभा में मंच के राज्य अध्यक्ष दुलीचंद मीणा ने कही। उन्होंने कहा — “मैं 40 साल पहले कोटड़ा आया था, तब भी यही कहा जाता था कि कोटड़ा सजा की जगह है, और आज भी वही हाल है। इसके जिम्मेदार वे हैं, जो पिछले 40 साल से सत्ता में हैं — सांसद, विधायक और मंत्री।”

“आदिवासी जंगल का राजा, लेकिन लुटेरे बन गए अफसर और नेता”
मीणा ने कहा कि आदिवासी देश की आज़ादी के सच्चे योद्धा रहे हैं, लेकिन सरकारों ने उन्हें ठगा है। “आदिवासी जंगल का राजा और रक्षक है, लेकिन नेताओं और अफसरों ने जंगल बचाने के नाम पर ही उसे बर्बाद कर दिया। देश के 15 करोड़ आदिवासियों का संसाधनों पर 1.5% भी हक नहीं है।” उन्होंने चेतावनी दी कि आदिवासियों को किसी धर्म से जोड़ने की कोशिश उनकी संस्कृति और अस्तित्व के साथ अन्याय है।

“मोदी की गारंटी, बिल्ली को दूध की रखवाली जैसी”
राज्य सचिव विमल भगोरा ने कहा कि आज देश में “कानून नहीं, जंगलराज” चल रहा है। उन्होंने व्यंग्य किया — “मोदी की गारंटी तो वैसी ही है जैसे बिल्ली को दूध की रखवाली की गारंटी दे दी जाए।” उन्होंने कहा कि बीजेपी “हिंदू राष्ट्र” और “भील प्रदेश” की बातें तो करती है, पर आदिवासियों के असली मुद्दों पर खामोश है। “आज आदिवासी की जान की कीमत पाँच बकरियां है, जबकि बाकी समाज में जान की कीमत करोड़ों में आँकी जाती है।”

“देश नहीं बिकने दूंगा — ये भी एक जुमला”
सभा में माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा — “तेल बेच दिया, रेल बेच दी, सड़क बेच दी, पानी और बिजली बेच दी — और फिर कहते हैं देश नहीं बिकने दूंगा! यह भी एक जुमला है।”
उन्होंने पूछा — “जब एक देश, एक टैक्स की बात करते हैं तो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में क्यों नहीं लाते? यह लूट का एजेंडा है।”
“कोटड़ा का पानी मारवाड़ जा रहा है, किसान प्यासे हैं”
आदिवासी मंच के जिला सचिव प्रेम पारगी ने कहा कि कोटड़ा में बांध बना कर यहां का पानी मारवाड़ भेजा जा रहा है, जबकि नारे हैं ‘हर घर नल का जल’। उन्होंने कहा — “यहां की फसलें बारिश से नष्ट हो गईं, लेकिन मुआवजा नहीं मिला। युवाओं को मुफ्त बस यात्रा की घोषणा हुई, पर बसें ही नहीं हैं।”

“हम सबका पेट भरते हैं, पर खुद भूखे हैं”
सभा में किसान नेता जगदीश पारगी ने कहा — “हम देश का पेट भरते हैं, लेकिन खुद भूखे हैं। जंगल हमारी आत्मा है, और उसे हमसे छीना जा रहा है।”उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी के कारण यहां के युवा गुजरात पलायन कर रहे हैं, जहाँ मजदूरी के साथ हमारी बेटियों की इज़्ज़त भी लूटी जा रही है, पर पुलिस चुप है।

“स्मार्ट मीटर लूट का नया तरीका”
जिलाध्यक्ष हाकरचंद खराड़ी ने कहा कि सरकार आम जनता को लूटने के नए-नए तरीके निकाल रही है, “स्मार्ट मीटर इसका ताज़ा उदाहरण है।” किसान नेता बाबूलाल वडेरा ने कहा —“टीवी, अख़बार और मोबाइल पर मोदी के प्रचार से गरीब का पेट नहीं भरता। मोदी की गारंटी दरअसल अडानी-अंबानी को जनता को लूटने की गारंटी है।”

“दो महीने में संभागीय आयुक्त तक पैदल मार्च”
सभा की अध्यक्षता करते हुए दलाराम ने चेतावनी दी कि यदि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो दो महीने में संभागीय आयुक्त कार्यालय तक पैदल मार्च कर सरकार का घेराव किया जाएगा। सभा के अंत में जगदीश पारगी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने तहसीलदार कोटड़ा को ज्ञापन सौंपा, जिसमें क्षेत्र की समस्याओं के समाधान और आदिवासियों पर हो रहे अन्याय को रोकने की मांग की गई।

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