नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आज लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि निर्वाचित प्रतिनिधि विधानसभा के फ्लोर से अधिक महत्व ट्रांसफर के कामों को देने लगे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब विधानसभा सत्र चल रहा हो और जनप्रतिनिधि सचिवालयों में किसी के तबादले कराने के लिए फाइलें लेकर घूम रहे हों, तो क्या यह लोकतंत्र का सम्मान है? क्या यह उस जनता का प्रतिनिधित्व है, जिसने उन्हें लोकतंत्र के मंदिर में भेजा है?
कटारिया ने यह बात भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं, जनपथ (संवाद से संघर्ष तक)’ के विमोचन समारोह में कही। यह आयोजन शुक्रवार को दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में हुआ।
“अग्निपथ को जो समझ लेगा, वही बनाएगा जनपथ”
कटारिया ने कहा, “वास्तव में यह जो अग्निपथ है, उसे जो ठीक ढंग से पा लेगा, वही इस जनपथ को बना सकेगा। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जो हवाई जहाज से उतरता है, वह लोकतंत्र को समझता नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि कई बार विधानसभा में दिए गए भाषण रिकॉर्ड में तो आ जाते हैं, लेकिन जब उन्हें ईमानदारी से पढ़ा जाता है, तो खुद को यह सोचकर झटका लगता है कि हमें ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए था।
कटारिया बोले, “आलोचना करने का अधिकार सबको है, लेकिन शब्दों के प्रयोग में मर्यादा आवश्यक है। शब्दों की कंजूसी लोकतंत्र को कलंकित करती है।”
“जनता चाहेगी तो आएंगे, नहीं चाहेगी तो नहीं”
अपने संबोधन में कटारिया ने जनप्रतिनिधियों को आत्ममंथन की सलाह देते हुए कहा, “जनता चाहेगी तो आप आएंगे, नहीं चाहेगी तो नहीं आ पाएंगे। चाहे कितनी भी हेकड़ी कर लो, कुछ नहीं कर पाओगे। जनता यह नहीं देखती कि किसने क्या किया, वह केवल आपके गुण और अवगुण देखती है।”
उन्होंने कहा कि जनता की अदालत में झूठ, दिखावा या शक्ति प्रदर्शन कभी नहीं चलता। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोच्च है और उसे नजरअंदाज करने वाले नेताओं का भविष्य ज्यादा दिन नहीं टिकता।
टीकाराम जूली बोले—‘हरियाणा कैसे हारे, यह बड़ा प्रश्न है’
कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी मौजूद रहे। उन्होंने हास्य और गंभीरता के मिश्रण में कहा कि वे विशेष रूप से इसलिए आए हैं क्योंकि आज तक यह नहीं समझ पाए कि हरियाणा चुनाव में वे कैसे हार गए। जूली ने कहा, “यह बड़ा प्रश्न है, सब कह रहे थे कि हम जीत रहे हैं, फिर हरियाणा हार गए — यह बात अब तक समझ नहीं आई।”
जूली ने मंच पर उपस्थित गुलाबचंद कटारिया, राज्यसभा सांसद राजेंद्र राठौड़ और डॉ. सतीश पूनिया को संबोधित करते हुए कहा कि वे विधानसभा में इन तीनों को सबसे अधिक मिस करते हैं।
लोकतंत्र की आत्मा को समझने का संदेश
कार्यक्रम के अंत में गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि लोकतंत्र केवल सत्ता का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मअनुशासन और जिम्मेदारी का भाव है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति ‘अग्निपथ’ की तपस्या को समझ लेता है, वही जनता के ‘जनपथ’ पर अमर होता है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.