क्षेत्रीय सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न
24 News update उदयपुर. – श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के दत्तोपंत ठेंगड़ी राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा एवं विकास बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशालय, उदयपुर द्वारा क्षेत्रीय सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय सभागार में सम्पन्न हुई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य श्रमिक वर्ग की समस्याओं पर चर्चा करना, उनकी स्थिति को सुधारने के लिए सुझाव देना और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर विचार करना था।
बैठक की शुरुआत और मुख्य मुद्दे
बैठक की शुरुआत में पदेन सचिव एवं क्षेत्रीय निदेशक प्रभारी जगदीप सिंह ने 2024-25 का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए श्रमिकों को सशक्त करना बेहद आवश्यक है।
उन्होंने ई-श्रम पोर्टल, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी साझा की। ये योजनाएँ श्रमिकों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई हैं।
प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत का संबोधन और मुख्य विचार
बैठक की अध्यक्षता कुलपति एवं क्षेत्रीय सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने की। उन्होंने कहा कि “यदि हमें देश को समझना है, तो हमें श्रमिकों और गांवों को समझना होगा।” उन्होंने श्रमिकों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी प्रगति के बावजूद श्रमिकों की आवश्यकता हमेशा बनी रहेगी। कोई भी देश तब तक सशक्त नहीं हो सकता जब तक उसके श्रमिकों को उचित सम्मान और अवसर न मिले।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संस्थापक मनीषी पंडित नागर ने 1937 में रात्रिकालीन श्रमजीवी कॉलेज की स्थापना की थी। इस कॉलेज का उद्देश्य श्रमिकों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना था ताकि दिन में काम करने वाले श्रमिक भी रात में शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपने जीवन को बेहतर बना सकें।
प्रो. सारंगदेवोत ने वर्तमान श्रमिक स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा:
- श्रमिकों को उचित वेतन और सम्मान मिलना चाहिए।
- आज भी बड़ी संख्या में असंगठित श्रमिकों का शोषण हो रहा है।
- कई श्रमिकों को दैनिक वेतन भी पूरा नहीं मिलता है।
- कामगारों को भी उनके अधिकारों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।
श्रमिकों की मौजूदा स्थिति और आवश्यक सुधार
बैठक में श्रमिकों की विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु सामने आए:
- न्यूनतम वेतन और श्रमिकों का शोषण
- असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को पर्याप्त वेतन नहीं मिल रहा है।
- कई जगहों पर श्रमिकों से अधिक काम लिया जाता है, लेकिन वेतन बहुत कम दिया जाता है।
- श्रमिकों को स्थायी रोजगार और सामाजिक सुरक्षा देने के उपायों की आवश्यकता है।
- सामाजिक सुरक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ
- कई योजनाएँ सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण श्रमिक उन तक नहीं पहुँच पाते।
- ई-श्रम पोर्टल का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए ताकि सभी श्रमिकों का पंजीकरण हो और वे सरकारी लाभ प्राप्त कर सकें।
- प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत अधिक से अधिक श्रमिकों को पेंशन योजना से जोड़ा जाए।
- महिला श्रमिकों की स्थिति
- सिस्टर कीर्ति कैथरिन डेविड मेकवान ने घरेलू कामगार महिलाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
- उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में घरेलू कामगारों को श्रमिक के रूप में मान्यता दी गई है, लेकिन पूरे भारत में यह नीति लागू होनी चाहिए।
- घरेलू कामगारों को भी उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और अन्य सुविधाएँ मिलनी चाहिए।
- श्रमिकों की शिक्षा और सशक्तिकरण
- श्रमिकों को न केवल रोजगार, बल्कि शिक्षा से भी जोड़ा जाए ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
- सरकार और समाज को मिलकर श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष योजनाएँ बनानी चाहिए।
विशेषज्ञों के विचार और सुझाव
बैठक में विभिन्न विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए:
- डॉ. कौशल नागदा – श्रमिकों की बेहतरी के लिए ठोस नीतियाँ बनानी चाहिए।
- बालकृष्ण शुक्ला – श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
- जिला उद्योग एवं वाणिज्य अधिकारी प्रिंस परमार – श्रमिकों के लिए सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो।
- पवन गोयल, चंद्रभान सिंह, मांगीलाल लुनावत, राजकुमार गौड़, पवन तलेसरा, गजेंद्र सिंह, गोपी किशन, नदीम खान आदि ने श्रमिकों की स्थिति को मजबूत करने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

