24 news update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम ने सत्संग में बताया कि आत्मा- परमात्मा को चाहती है व परमात्मा भी आत्मा को ही चाहते हैं धर्म ,कर्म ,मोक्ष, काम इन पदार्थों से परमात्मा की प्राप्ति हो पाती है ।
संत ने कहा पाप- पुण्य साथ-साथ चलते हैं व भगवान को पुण्य ही अर्पण होते हैं तथा कष्टों में भगवान हमेशा मदद करते हैं । संत ने कहा कि श्री गणेश प्रथम पूज्य हैं वे विनायक भी हैं और विघ्नहर्ता भी । उनकी कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि आती है साथ ही इससे सामाजिक एकजुटता और स्वतंत्रता की भावना के संदेश का संचार भी होता है । यह केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि जीवन को ऊर्जावान और सकारात्मक बनाने की परंपरा भी है । गणेश जी मूलाधार के देवता हैं, जिसका संबंध मूल प्रकृति अथवा पृथ्वी तत्व से है इसलिए गणपति उपासना में प्रकृति और प्राकृतिक अवयवो का ही उपयोग श्रेयस्कर है । भगवान श्री गणेश मूलाधार चक्र एवं पृथ्वी तत्व से संबंध है जिस से गणपति उपासना में मिट्टी की प्रतिमाएं अधिक उपयुक्त और आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी है । संत ने कहा कि गणेशजी के एक-एक अंग को ध्यान से देखें तो वह हमें सही जीवन जीने का तरीका और ज्ञान को अपने जीवन में कैसे लाएं यह सिखाते हैं जैसे बड़ा सिर मतलब विशाल बुद्धि लेकिन सिर इतना बड़ा और आंखें इतनी छोटी जो तीक्ष्ण बुद्धि वाला होगा वो दूरंदेशी होगा । कोई चीज दूर देखते हैं तो हमारी आंखें छोटी हो जाती है । जो कान सूप जैसे हो मतलब सिर्फ अच्छी बातों को ग्रहण करें दूसरी बातों को अंदर जाने भी ना दे । परमात्मा जब ज्ञान देते हैं तो सबसे पहले बात सिखाते हैं – मैं आत्मा, तू आत्मा, इससे सारा दैृत खत्म । दैृत आत्मचेतना से ही खत्म होता है । जब वो जीवन में आ जाए तो दैृत खत्म । इसलिए एकदंत ,दो नहीं । जो बुद्धिमान आत्मा है वो हर बात को अपने पेट में समा लेती है । प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया संत प्रसाद विनोद भट्ट परिवार का रहा सत्संग में नाथू परमार , सुरेंद्र शर्मा के अतिरिक्त प्रेमलता सुथार, मणी रोत ,शकुंतला भावसार , मीठी परमार, भानु ,पुष्पा ,कौशल्या सेवक सहित महिला व पुरूष भक्त उपस्थित रहे।
आत्मा परमात्मा को चाहती व परमात्मा आत्मा को चाहते-संत तिलकराम महाराज

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