24 News update national desk . एक साधारण सफर, जो कातिलाना साबित हुआ
मेरठ के कैब ड्राइवर अजब सिंह के लिए वह एक आम बुकिंग थी—दो मुसाफिर, एक लंबा टूर, और 10 दिनों की यात्रा। लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी गाड़ी में बैठे ये जोड़े सिर्फ पर्यटक नहीं थे… बल्कि एक खौफनाक कत्ल की कहानी के किरदार थे।
4 मार्च: सफर की शुरुआत
उस दिन सुबह अजब सिंह को एक कॉल आया। शिवा ट्रैवल्स से बुकिंग थी—शिमला, मनाली और कसोल का टूर। ₹54,000 में सौदा पक्का हुआ। शाम को उसे दिल्ली चुंगी (मेरठ) के पास एक लड़का और लड़की मिले। दोनों की उम्र करीब 25-30 के बीच रही होगी। दिखने में साधारण, हंसते-मुस्कुराते चेहरे। ड्राइवर को शक करने की कोई वजह नहीं मिली।
रात का सफर, अजनबी मुसाफिर
गाड़ी हाईवे पर दौड़ रही थी। दोनों पीछे की सीट पर बैठे थे, फोन चला रहे थे, लेकिन एक अजीब बात थी—वे आपस में ज्यादा बात नहीं कर रहे थे। एक-दो बार जब लड़की के फोन पर कॉल आया, तो उसने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा और उतरकर दूर जाकर बात करने लगी।
“वीडियो कॉल कराओ,” किसी ने फोन पर कहा था।
लड़की ने गाड़ी से नीचे उतरते ही वीडियो कॉल किया। उसकी आवाज नपी-तुली थी, जैसे कुछ छिपा रही हो।
शिमला की बर्फ, पार्टी और रहस्य
सुबह होते ही वे शिमला पहुंचे। होटल बुक किया गया, और तीन दिन वहीं बिताए। दिन में वे घूमते, शाम को किसी अनजान जगह निकल जाते। पांच दिन बाद दोनों ने कहा, “मनाली चलना है, बर्फ देखनी है।”
मनाली की हसीन वादियों में दोनों ने बर्फ पर खेला, वीडियो बनाए। होटल बदलते रहे, कभी कसोल में, कभी किसी अनजान जगह पर। लेकिन एक पैटर्न था—रोज नई जगह, रोज नए बहाने।
रातें शराब में डूबी थीं
साहिल रोज 1-2 बोतल शराब लाता। मुस्कान भी बीयर पीती थी। एक दिन यूपी में घुसते ही साहिल ने कहा, “भाई, कोई ठेका देखो, बीयर लेनी है।”
ड्राइवर ने ठेका दिखाया, और दोनों ने तीन कैन बीयर खरीदीं। गाड़ी में ही पीने लगे, जैसे कुछ सेलिब्रेट कर रहे हों।
16 मार्च: “शंकर” नाम का रहस्यमयी केक
ड्राइवर के मोबाइल में इंटरनेट खत्म हो गया, तो मुस्कान ने होटल का वाईफाई पासवर्ड लिया। उसने ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर किए और फिर एक केक मंगवाया।
केक पर लिखा था— “शंकर”।
ड्राइवर को समझ नहीं आया कि यह नाम किसका है। क्या यह कोई कोड वर्ड था? कोई छिपा हुआ संदेश? लेकिन उसने ज्यादा नहीं सोचा… और सफर जारी रहा।
19 मार्च: जब सच सामने आया
सफर खत्म हुआ। दोनों मेरठ लौट गए।
और फिर, खबर आई—सौरभ राजपूत की हत्या।
सौरभ, जो लंदन में मर्चेंट नेवी में अफसर था, अब चार टुकड़ों में मिला था।
पुलिस ने जब साहिल और मुस्कान को गिरफ्तार किया, तो ड्राइवर की रूह कांप गई। अखबार में दोनों की तस्वीरें देखीं और समझ आया—जिस जोड़े को उसने पूरे 10 दिन घुमाया, वे टूरिस्ट नहीं, हत्यारे थे।
अब पुलिस हर कदम की जांच कर रही है
ड्राइवर ने पुलिस को सफर की सारी पर्चियां दीं—टोल टैक्स, पेट्रोल की रसीदें, होटल के बिल। पुलिस अब उन होटलों, पब्स और ठिकानों की छानबीन कर रही है, जहां ये दोनों ठहरे थे।
क्या इन 10 दिनों के दौरान कोई और राज खुलेंगे? क्या ये सिर्फ एक हत्या थी, या इसके पीछे कोई और खेल चल रहा था?
सच धीरे-धीरे सामने आ रहा है… और यह कहानी अब भी खत्म नहीं हुई।
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