वैदिक प्रदर्शनी का उद्घाटन, वेदों का ज्ञान जन-जन तक पहुंचाने पर जोर
24 News Update उदयपुर, राजस्थान विद्यापीठ के संघटक साहित्य संस्थान एवं महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय वेद ज्ञान सप्ताह का भव्य उद्घाटन संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के सभागार में किया गया, जिसमें कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, मुख्य वक्ता डॉ. पंकज कुमार शर्मा, डॉ. सुरेन्द्र द्विवेदी, निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, प्रभारी डॉ. महेश आमेटा एवं संयोजक डॉ. कुलशेखर व्यास प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजली अर्पित कर, दीप प्रज्ज्वलन एवं वैदिक प्रदर्शनी का फीता काटकर किया गया। प्रारंभ में निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल ने वेद ज्ञान सप्ताह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आगामी सात दिनों तक विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में वेदों से संबंधित व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने मुख्य उद्घाटन संबोधन में कहा कि वेद ज्ञान सप्ताह का मुख्य उद्देश्य वेदों का प्रचार-प्रसार कर आमजन में ज्ञान, संस्कार और श्रद्धा का विकास करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वेद किसी एक धर्म विशेष के ग्रंथ नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के ग्रंथ हैं, जिनमें मानव का आदि इतिहास समाहित है। वेदों में मंत्रों की शक्ति है, जो मन की पवित्रता से जुड़ी होती है। उन्होंने दुर्गा सप्तशती के महत्व एवं इसके विभिन्न अध्यायों का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया।
मुख्य वक्ता डॉ. पंकज कुमार शर्मा ने वैदिक ऋचाओं में समाहित खगोल विज्ञान पर प्रकाश डाला। साथ ही गणपति मंत्र की शक्ति और आसन सिद्धि के रहस्य समझाए।
विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि वेदों में वर्णित आचार संहिता का पालन करने से व्यक्ति स्वस्थ, दीर्घजीवी व आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति करता है। श्रीमद्भागवत पुराण के उदाहरण प्रस्तुत कर उन्होंने कार्य में पूर्ण मनोयोग का महत्व समझाया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुलशेखर व्यास ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन डॉ. महेश आमेटा ने किया।इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. भवानीपाल सिंह राठौड़, विकास आमेटा, गणपत आमेटा, केके कुमावत, डॉ. यज्ञ आमेटा, डॉ. तिलकेश आमेटा, डॉ. मितेष भट्ट, गणेशलाल नागदा, इन्द्रसिंह राणावत, डॉ. मनीष श्रीमाली, लव वर्मा, परशुराम शर्मा, नारायण पालीवाल, शोयब कुरेशी, आनंद कुमार सहित अनेक ज्योतिषविद् एवं विद्वान उपस्थित रहे।
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