24 News Update उदयपुर. विकास प्राधिकरण) को नोटिस जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मुन्नूरी लक्ष्मण ने पारित किया। याचिका में नगर निगम की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग शुक्ला ने कोर्ट में आश्वासन दिया कि स्थानीय निकाय भविष्य में कचरे का निस्तारण जलाकर नहीं करेगा। इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए न्यायालय ने स्थायी लोक अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक या स्टे लगा दी जाए। हाईकोर्ट ने उक्त मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए, चार सप्ताह के भीतर उत्तर देने के लिए जिला कलेक्टर, उदयपुर और नगर विकास प्राधिकरण, उदयपुर को नोटिस जारी किया है। साथ ही याचिकाकर्ता को ’दस्ती नोटिस’ भेजने की अनुमति दी गई है। आपको बता दें कि डॉ. सलोनी गुप्ता पत्नी सौरभ गुप्ता, निवासी आईआईएम परिसर, बलीचा, उदयपुर द्वारा दायर की गई पर स्थायी लोक अदालत ने केके गुप्ता को न्याय मित्र 24 महीने के लिए बनाया था। इस निर्णय को चुनौती दी गई थी। इसमें मुख्य मुद्दा यह था कि डंपिग यार्ड में कचरे का जलाकर निस्तारण किया जा रहा है। अदालत ने तब के.के. गुप्ता को निगरानी अधिकारी नियुक्त किया था। अब इस पर स्टे आ गया है। इधर, बलीचा में रहने वाले कई लोगों का दावा था कि गुरूवार को भी डंपिंग यार्ड के कचरे से धुआं उठता हुआ देखा गया। लोगों ने कहा कि बुधवार को भी यही हाल था। यहां हजारों लोगों का जीना कचरे की वजह से मुश्किल हो गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।

बड़ा सवाल कि कचरा नहीं जलाएंगे, यह आश्वासन क्यों देना पड़ा
इस मामले में बड़ा सवाल यह उठा कि आखिर क्यों स्थानय निकाय को कोर्ट को यह आश्वासन देना पडा कि अब कचरा नहीं जलेगा। मौके पर समय रहते स्थितियों में सुधार किया जा सकता था। आस पास के रिहायशी इलाकों से ही यदि फीडबेक ले लिया जाता तो कानूनी प्रक्रिया में जनता का पैसा खर्च नहीं होता। अब देखना यह होगा कि डंपिंग यार्ड में आगे का कचरे का प्रबंधन कैसे किया जाता है। कचरा जलना या नहीं जलना समस्या का एक हिस्सा है, असली राहत जनता को ही दी जानी है। केके गुप्ता साहब को न्याय मित्र इसलिए नियुक्त किया गया क्योंकि सिस्टम फेल हो रहा था व यह माननीय लोक अदालत की नजर में आया। अब पूरी जिम्मेदारी फिर से निगम व निकायों पर आ गई है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.