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आत्मा निकलने के बाद शरीर की कोई कीमत नहीं है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज

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– मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में चल रहे है निरंतर धार्मिक प्रवचन


24 News Update उदयपुर। मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बड़े हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में बुधवार को मरुधर रत्न आचार्य रत्नसेनसूरी महाराज ने कहा कि जैसे आम को खरीदते समय आम के साथ उसमें रही गूटली और छिलको के वजन की कीमत आम के साथ उतनी ही मानी जाती है। परंतु जैसे ही उस आम में से रस निकाल दिया जाता है, छिलके और गुठली की कोई कीमत नहीं रहती है। उसे कचरे में फेंक दिया जाता है। वैसे ही इस मानव शरीर को भोजन पेय पदार्थों के द्वारा हष्ट पुष्ट बनाते है परंतु इस शरीर की कीमत कितनी ? आत्मा निकलने के बाद उस शरीर की कोई कीमत नहीं है। मृत देह को या तो जला दिया जाता है या तो जमीन में दफना दिया जाता है। उसे संग्रह करने पर अनेक रोगों का कारण बन जाता है।. जीवित व्यक्ति को अपने घर में से निकालने की कोई हिम्मत नहीं करता है, उसी व्यक्ति के मरने के बाद परिवार वाले ही उसे बांधकर निकाल देते है। जिस घर को बनाने के लिए व्यक्ति जीवन भर मेहनत-मजदूरी करता है मरने के बाद उसी व्यक्ति को अपने ही घर से निकाल दिया जाता है। जीवित व्यक्ति को मान-सन्मान से नाम लेकर या उसकी पदवी के निर्देश से पुकारा जाता है। परंतु मृतक व्यक्ति को कोई नाम से भी नहीं पुकारता। किसी को समाचार देने पर यही प्रश्न पूछा जाता है कि मृतक को कब घर से निकाला जाएगा? नश्वर इस शरीर के द्वारा शाश्वत सिद्ध ऐसी आत्मा के हित की प्रवृति करना इस शरीर की सफलता और सार्थकता है। अत: धर्म की आराधना करके जीवन धन्य बनाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए।
कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि 28 सितंबर को प्रात:9.15 बजे चातुर्मासिक विदाई समारोह होगा। 29 सितंबर को प्रात: 5.45 बजे चैत्य परिपाटी सह गुरु भगवंतों का विहार महावीर विद्यालय-चित्रकूट नगर हेतु होगा तथा 2 अक्टूबर से सामूहिक उपधान तप प्रारंभ होगा। 

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