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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का संतुलित रुख: कानून पर रोक नहीं, पर फिलहाल नियुक्तियों और संपत्ति की स्थिति में बदलाव नहीं

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24 न्यूज अपडेट, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ संशोधन कानून 2023 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दूसरे दिन महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। अदालत ने फिलहाल कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि इस दौरान वक्फ बोर्ड या केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी और वक्फ संपत्तियों की यथास्थिति बनी रहेगी।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का फोकस – संतुलन, अनुशासन और स्पष्टता
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “जब मामला अदालत के समक्ष लंबित हो, तो यह अनिवार्य है कि वर्तमान स्थिति में कोई व्यवधान न आए। हम कार्यपालिका को उसकी भूमिका से नहीं रोकते, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के दौरान संतुलन जरूरी है।”
🔹 अदालत की प्रमुख शर्तें
कोई नई नियुक्ति नहीं:
केंद्र ने अदालत को आश्वस्त किया कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय तक वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
संपत्ति की स्थिति बरकरार: अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक सुनवाई जारी है, तब तक वक्फ संपत्तियों की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
डी-नोटिफिकेशन पर अस्थायी विराम: कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ घोषित संपत्तियों को अभी डी-नोटिफाई नहीं किया जा सकता।
🔹 सरकार को राहत, पर सावधानी के साथ
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से कहा, “यह मामला गंभीर है, जिसमें पिछले कानूनों, संशोधनों और ऐतिहासिक तथ्यों का अध्ययन जरूरी है। पहली नजर में कुछ धाराओं को देखकर पूरे कानून पर रोक लगाना तर्कसंगत नहीं होगा।” उन्होंने अदालत से एक सप्ताह का समय मांगा, जो कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
🔹 110 याचिकाओं को 5 में समाहित करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह 110 से अधिक याचिकाओं की बजाय केवल 5 प्रमुख याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार करेगी। सभी याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वे नोडल वकीलों की सहायता से 5 प्रमुख आपत्तियों को तय करें और बाकी बिंदुओं को इन्हीं में समाहित करें।
🔹 सुनवाई के दौरान उठा धर्म और निष्पक्षता का मुद्दा
पहले दिन की सुनवाई में उस वक्त गर्माहट आ गई जब सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि बेंच के तीनों जज हिंदू हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सख्ती से जवाब देते हुए कहा, “हमारी व्यक्तिगत धार्मिक पहचान न्याय देने में कोई भूमिका नहीं निभाती। कानून के समक्ष सभी पक्ष समान हैं।”
🔹 क्या है वक्फ संशोधन कानून में विवादित बिंदु?
केवल मुस्लिम ही वक्फ बना सकते हैं:
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, “राज्य कैसे तय कर सकता है कि कौन मुसलमान है और कौन नहीं?”
300 साल पुरानी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन: अदालत ने पूछा कि 13वीं–14वीं सदी की मस्जिदों और संपत्तियों के पास रजिस्ट्रेशन या डीड नहीं होगी, तो उन्हें कैसे मान्यता दी जाएगी?
बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य: संशोधन के तहत वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्य रखने की अनुमति दी गई है, जिसे याचिकाकर्ताओं ने धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर हमला बताया।
🔹 अगली सुनवाई 5 मई को
अब केंद्र सरकार को 7 दिन के भीतर जवाब दाखिल करना है, जिसके बाद याचिकाकर्ता 5 दिन में अपना प्रत्युत्तर देंगे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सुनवाई अंतिम नहीं है, बल्कि कानून की संवैधानिक समीक्षा की शुरुआत है।

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