24 News Update उदयपुर। झीलों के शहर उदयपुर को दीर्घकालिक पेयजल सुरक्षा प्रदान करने वाली बहुप्रतीक्षित देवास परियोजना—तृतीय एवं चतुर्थ चरण को केंद्र सरकार से महत्वपूर्ण स्टेज–1 वन स्वीकृति मिल गई है। यह स्वीकृति न केवल तकनीकी प्रगति का चरण है, बल्कि उदयपुर के जल–भविष्य के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि भी मानी जा रही है।
इस स्वीकृति के पीछे पंजाब के राज्यपाल श्री गुलाबचंद कटारिया की लगातार सक्रियता, व्यक्तिगत रुचि और केंद्र सरकार के शीर्ष स्तर पर की गई उनकी सशक्त पैरवी को निर्णायक माना जा रहा है। कटारिया ने उदयपुर की जल-संबंधी चुनौतियों को प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर की प्राथमिकता बनाते हुए इस परियोजना की निगरानी, फॉलो-अप और केंद्र स्तर पर संवाद की स्वयं अगुवाई की।
कटारिया की पहल से तेज हुई वन स्वीकृति प्रक्रिया
वर्षों से लंबित वन स्वीकृति की प्रक्रिया को गति देने के लिए राज्यपाल कटारिया ने केंद्रीय मंत्रियों, मंत्रालय स्तर के सचिवों तथा संबंधित विभागों से लगातार मुलाकात कर विषय को प्राथमिकता दिलाई।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अपेक्षाकृत कम समय में स्टेज–1 स्वीकृति मिल जाना इसी उच्च स्तरीय हस्तक्षेप का प्रत्यक्ष परिणाम माना जा रहा है।
दो बड़े बांध, दो लंबी सुरंगें—उदयपुर की जल–जीवन रेखा तैयार
जल संसाधन विभाग, उदयपुर के अधीक्षण अभियंता मनोज जैन के अनुसार— देवास–तृतीय परियोजना
स्थान : नाथियाथल गांव, गोगुन्दा तहसील, बांध क्षमता : 703 एमसीएफटी,
जल परिवहन : 10.50 किमी लंबी सुरंग, देवास–II (आकोड़दा बांध) के माध्यम से
फिर वर्तमान प्रणाली से पिछोला झील तक पहुंच
देवास–चतुर्थ परियोजना, स्थान : अम्बा गांव के समीप, बांध क्षमता : 390 एमसीएफटी
जल परिवहन :
4.15 किमी सुरंग
जिसे देवास–तृतीय से जोड़ा जाएगा। इन दोनों चरणों के पूरा होने पर किरलसातुरा से लेकर पिछोला झील तक पानी भेजने की वर्तमान प्रणाली कई गुना अधिक सक्षम हो जाएगी।
उदयपुर का जल–भविष्य होगा सुरक्षित
परियोजनाओं के पूर्ण होने पर— उदयपुर शहर को आने वाले कई दशकों तक निर्बाध पेयजल उपलब्ध होगा।
पिछोला, फतहसागर, स्वरूपसागर जैसी झीलों का जलस्तर स्थायी रूप से सुरक्षित रहेगा। झीलों पर आधारित पर्यटन उद्योग को स्थिरता मिलेगी। वर्षा–आधारित निर्भरता कम होगी, जिससे पर्यावरणीय संतुलन मजबूत होगा। शहर की भविष्य की आबादी को भी पर्याप्त जल–सुरक्षा मिल सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना उदयपुर के लिए पेयजल आपूर्ति की रीढ़ सिद्ध होगी।
झीलें हमारी धरोहर, समाधान स्थायी होना चाहिए —कटारिया
स्टेज–1 स्वीकृति मिलने पर राज्यपाल श्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा—
“उदयपुर की झीलें केवल जल–स्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर हैं। देवास–तृतीय और चतुर्थ चरण से शहर के पेयजल संकट का स्थायी समाधान होगा और झीलों का गौरव भी सुरक्षित रहेगा।”
उन्होंने केंद्र सरकार, पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि परियोजना के आगामी चरणों को भी प्राथमिकता से आगे बढ़ाने का प्रयास जारी रहेगा।

