24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर का जिला प्रशासन इस बार जरा देर से जागा है। आज स्कूलों का समय बदलने का ऐलान हुआ है व लू-ताप, बिजली व पेयजल समस्या के त्वरित समाधान हेतु जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। जबकि जरूरत इसके पहले थी। कई जिलों में यह काम बहुत पहले ही हो चुका है। इस देरी के कारण को प्रशासन ही बता सकता है लेकिन सवाल तो उठता ही है कि जब आंधी की चेतावनी है तब लू का कंट्रोल रूम बनाना जनता में चर्चा का विषय तो बन ही जाता है।
मौसम विभाग कह रहा है कि राजस्थान में भीषण गर्मी के बाद अब मौसम का रुख अचानक बदलने वाला है। भारतीय मौसम विभाग ने 1 मई से 7 मई तक तेज हवाएं, गरज-चमक, बिजली गिरने और धूलभरी आंधियों की चेतावनी जारी की है, खासकर उदयपुर सहित कई जिलों के लिए। इन गंभीर संकेतों के बीच अब जाकर जिला प्रशासन हरकत में आया हैकृलू से राहत के लिए कंट्रोल रूम बना रहा है और स्कूलों के समय में भी बदलाव कर रहा है। लेकिन सवाल यह है कि जब लू और भीषण तापमान पहले ही जानलेवा हो चुके थे, तब यह कदम क्यों नहीं उठाए गए?
मौसम विभाग के 29 अप्रैल को जारी बुलेटिन के अनुसार, 1 मई को उदयपुर, जोधपुर, अजमेर व बाड़मेर में तेज हवाएं (40-50 किमी/घंटा), धूलभरी आंधी, बिजली गिरने और कहीं-कहीं हल्की बारिश की संभावना है। 2 और 3 मई को इन घटनाओं की तीव्रता और बढ़ सकती है, जब हवाएं 60 किमी/घंटा तक की रफ्तार पकड़ सकती हैं। 4 से 7 मई तक भी यह स्थिति बनी रह सकती है, जिससे तापमान में 3 से 4 डिग्री की गिरावट संभावित है।
इन चेतावनियों के बीच जिला प्रशासन ने अब जाकर कंट्रोल रूम स्थापित करने का आदेश जारी किया है। एडीएम प्रशासन दीपेन्द्र सिंह राठौड़ को प्रभारी बनाया गया है और टोल फ्री नंबर 1077 तथा दूरभाष 0294-2414620 जारी किया गया है। यह कंट्रोल रूम लू, बिजली, पेयजल आदि से जुड़ी शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए होगा। सवाल यह उठता है कि जब तापमान 42 से उपर पहुंच चुका था, हीटवेव की स्थिति बनी हुई थी, तब प्रशासन की संवेदनशीलता कहाँ थी?
स्कूलों के समय में बदलाव की घोषणा भी उसी देरी का हिस्सा है। 1 मई से जिले के सभी सरकारी व गैर-सरकारी स्कूलों के लिए नया समय निर्धारित किया गया है दृ सुबह 7ः30 से 11ः30 बजे तक। गर्मी की शुरुआत में ही कई जिलों में यह निर्णय हो चुका था, लेकिन उदयपुर में अब जबकि मौसम विभाग गरज-चमक, हवाएं और बिजली गिरने की चेतावनी दे रहा है, तब जाकर बच्चों की सुरक्षा का ख्याल आया है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उल्लंघन करने पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत संस्था प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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