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साधु और श्रावक जिन शासन के अभिन्न अंग है : साध्वी जयदर्शिता

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आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी

24 News Update उदयपुर, 22 जुलाई। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कच्छवागड़ देशोद्धारक अध्यात्मयोगी आचार्य श्रीमद विजय कला पूर्ण सूरीश्वर महाराज के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय कल्पतरु सुरीश्वर महाराज के आज्ञावर्तिनी वात्सलयवारिधि जीतप्रज्ञा महाराज की शिष्या गुरुअंतेवासिनी, कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।
आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में मंगलवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि साधु और श्रावक जिन शासन के महत्त्वपूर्ण व अभिन्न अंग है। जिस दिन साधु और जावक नहीं रहेंगे, उस दिन शासन भी नहीं रहेगा। परमात्मा का शासन साधु और श्रावक दोनों से ही चलता है। और चलेगा। भगवान महावीर को केवलज्ञान प्राप्त हुआ तब देवताओं द्वारा समवसरण की रचना की गई परमात्मा ने देशना प्रारंभ भी की परन्तु शासन की स्थापना नहीं की- क्यों ? क्योंकि वहां ऐसा कोई जीन उपस्थित नहीं था जिसके अंदर धर्म के परिणाम जागृत हो सके। आज बहुत से लोग कहते है कि रराधर्मिक धनवान होंगे तो शासन चलेगा “परन्तु ज्ञानी कहते है कि “साधर्मिक धर्मी होंगे तो शासन चलेगा। एक बात हमें पष्ठस्री समझ लेनी है कि धर्म के बिना शासन नहीं चल सकता।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।

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