24 News update जयपुर – सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 16 हजार खदान संचालकों को बड़ी राहत देते हुए पर्यावरण मंजूरी (EC) प्राप्त करने की समय सीमा दो महीने बढ़ा दी है। इससे पहले यह डेडलाइन 31 मार्च 2025 तय थी, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर कोर्ट ने दो माह का अतिरिक्त समय प्रदान किया है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
राजस्थान में कुल 23 हजार खदानें हैं, जिनमें से 16 हजार खदानों को अभी तक राज्य स्तरीय पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपील में अंतरिम आवेदन देकर समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजय खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए खनन कार्यों को जारी रखने के लिए दो महीने का अतिरिक्त समय दिया।
NGT ने बढ़ाने से किया था इनकार
इस मामले में राजस्थान सरकार को तब झटका लगा था, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF) द्वारा समय सीमा बढ़ाने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां अब कोर्ट ने खनन पट्टाधारकों को राहत प्रदान की है।
पहले भी बढ़ चुकी है समय सीमा
NGT ने पहले 7 नवंबर 2024 तक सभी खदानों को राज्यस्तरीय पर्यावरण मंजूरी लेने का आदेश दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 12 नवंबर 2024 को इस डेडलाइन को बढ़ाकर 31 मार्च 2025 कर दिया था। लेकिन अब भी हजारों खदानों को मंजूरी न मिलने के कारण कोर्ट ने यह अवधि फिर से दो माह बढ़ा दी है।
8 हजार खदान संचालकों के आवेदन पेंडिंग
राजस्थान सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब तक 6,668 खदानों को राज्य स्तरीय पर्यावरण मंजूरी मिल चुकी है, जबकि 7,795 लीज धारकों ने आवेदन कर रखा है, लेकिन उनके मामले लंबित हैं। वहीं, करीब 8,500 खदान संचालकों ने अब तक आवेदन ही नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट को करना है अहम फैसला
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि जिला पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (DEAC) द्वारा दी गई पर्यावरणीय मंजूरी मान्य नहीं मानी जाएगी, जब तक कि इसे राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (SEIAA) द्वारा पुनः मूल्यांकित न किया जाए।
अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और कोर्ट को तय करना है कि क्या जिला स्तरीय प्राधिकरण स्वतंत्र रूप से पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान कर सकता है, या इसके लिए राज्य स्तरीय मंजूरी आवश्यक होगी।
खनन क्षेत्र को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजस्थान के खनन उद्योग को राहत मिली है, क्योंकि यदि समय सीमा नहीं बढ़ाई जाती तो 16 हजार खदानों को बंद करने की नौबत आ सकती थी। अब खदान संचालकों के पास अपनी मंजूरी प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है, जिससे वे आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर सकेंगे।
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