- कपड़े, जूते, कंबल, खिलोने, स्टेशनरी आइटम सहित कई वस्तुएं ग्रामीणों में वितरित
24newsupdate उदयपुर। राहडा फाउंडेशन की ओर से कोटडा तहसील के दूरस्थ गांवों सहित जिले के अन्य गांवों में सोमवार को डोनेशन ड्राइव के तहत ग्रामीणों को कपड़े, जूते, कंबल, खिलोने, स्टेशनरी आइटम और अन्य आवश्यक सामग्रियां वितरित की गईं। राहडा फाउंडेशन की संस्थापक अर्चना सिंह चारण ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाना और समाज में सेवा भावना को प्रोत्साहित करना था। इसके तहत कोटडा तहसील के गांव देवला, बेकरिया, बाकावास व शामोली के अलावा उदयपुर के समीप काया, भीलो का बेदला व एकलव्य बस्ती में में ग्रामीणों को कपड़े, जूते, कंबल, खिलोने, स्टेशनरी आइटम और अन्य आवश्यक सामग्रियां वितरित की।
राहडा फाउंडेशन की टीम ने इससे पूर्व उदयपुर में एक अभियान चलाया था जिसमें शहर के लोगों ने कई तरह की ऐसी वस्तुएं दान की जो उनके काम नहीं आ रही थी। इन सभी सामग्रियों को छांट कर व्यवस्थित किया गया और 407 वाहन के माध्यम से अलग-अलग जगह पहुंचाया गया। सोमवार को राहडा फाउंडेशन के सदस्य मधु सोनी, मधु पूर्बिया, गंगा कुमारी, मणी लाल भील व गंगा गरासिया आदि ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर ड्राइव में एकत्रित सामग्रियों को उदयपुर के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाया। सैकड़ों लोगों ने इस सहायता का लाभ उठाया। इस अभियान को सफल बनाने में कुसुम लता, बसंती वैष्णव व हृषिता सिंह सहित सभी कार्यकर्ता दिन रात लगे रहे। श्रीमती चारण ने इस अवसर पर कहा, यह ड्राइव यह दर्शाती है कि जब हम सभी मिलकर प्रयास करते हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाना संभव है।
इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग के लिए उन्होंने शहर की जनता का भी आभार जताया जिन्होंने कई चीजें उन लोगों के लिए प्रदान की जिन्हें इनकी बहुत ज्यादा जरुरत है। इसके साथ ही टीम के सदस्यों ने ग्रामीणों को पालनहार योजना, विधवा पेंशन योजना, एकल नारी पेंशन योजना, अजा जजा स्कॉलरशिप, वृद्ध पेंशन योजना, दिव्यांग पेंशन योजना, आयुष्मान बाल संबल योजना व अनुजा योजना सहित सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई।
आदिवासी क्षेत्रों की हालत दयनीय, काम की जरुरत
इस अभियान को पूरा कर लौटने के बाद अर्चना सिंह चारण ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों की हालत आजादी के इतने सालों बाद आज भी दयनीय लग रही है। हमने देखा कि आज भी महिलाओं और बच्चों के पास पहनने को पूरे कपडे नहीं है। आदमियों के पास रोजगार नहीं है और आदिवासी क्षेत्र में जो संसाधन चाहिए वे भी उपलब्ध नहीं है। शिक्षा और चिकित्सा की हालत भी सुधारने की आवश्यकता है। श्रीमती चारण ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में उन्होंने जो दृश्य देखे उससे टीम के सदस्यों की कई बार आंसू निकल आए। इस व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार से आग्रह किया है कि दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों पर ध्यान देने के लिए अधिकारियों को पाबंद करें। साथ की वहां के युवाओं को शहर में लाकर प्रशिक्षण दे और उन्हें रोल मॉडल बनाकर गांवों में भेजे जिससे विकास की नई बहार सामने आ सकती है।
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