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पटवारी हेमंत उपाध्याय ने वापस लिया इस्तीफा, अफसरों ने कहा भावावेश में आकर दिया था इस्तीफा

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। उदयपुर जिला कलेक्टर कार्यालय में जिला रिसोर्स पर्सन के पद पर कार्यरत वरिष्ठ पटवारी हेमंत उपाध्याय के इस्तीफा का लेटर कल विभिन्न ग्रुपों में वायरल करवाया गया था जो मीडिया के पास भी पहुंचा। इस्तीफे की सच्चाई जानने के लिए 24 न्यूज अपडेट ने उपाध्याय से दूरभाष पर संपर्क का प्रयास किया मगर फोन बंद मिला। उसके बाद आज अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उपाध्याय ने भाववेश में आकर इस्तीफे का यह पत्र लिखा था जो दूसरा प्रार्थना पत्र देते हुए वापस ले लिया है। अधिकारियों ने कहा कि जो सवाल उठाए गए हैं वे निराधार हैं। इधर, सूत्रों से पता चला है कि उपाध्याय इससे पहले भी एक बार इस्तीफे जैसा प्रार्थना पत्र दे चुके हैं। फिलहाल उन्हें ‘अन ऑफिशियली आराम’ ‘वर्क फ्रॉम हॉम एंड आत्मचिंतन’ जैसा कोई अवसर देने के चर्चे हैं हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। उपाध्याय ने अपने इस्तीफे में लिखा कि 12 वर्षों से उदयपुर जिला कलेक्टर कार्यालय में कार्यरत हैं। पूरी निष्ठा और मेहनत से अपने दायित्वों का निर्वहन किया। डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के अंतर्गत प्रशासनिक सुधारों के लिए व्यक्तिगत प्रयास भी किए। इस बात का गर्व है कि न केवल अपनी जिम्मेदारी निभाई, बल्कि सिस्टम में सुधार के लिए भी प्रयास किए। सरकारी सेवा में आने से पहले पांच वर्षों तक ईस्ट अफ्रीका में कार्य कर चुके हैं। वहां की कार्य संस्कृति को लेकर उन्होंने कहा कि उन्होंने एक बेहतर वर्क कल्चर देखा, जहां कर्मठता और निष्ठा को महत्व दिया जाता है। परिवारिक कारणों से भारत लौटने के बाद जब उन्होंने सरकारी सेवा में प्रवेश किया, तो उन्हें महसूस हुआ कि प्रशासनिक प्रणाली में मेहनत और निष्ठा से अधिक चाटुकारिता (जी हजूरी) को प्राथमिकता दी जाती है। मेहनत और ईमानदारी से काम करने वालों की अपेक्षा केवल ’यस सर’ कहने वालों को अधिक महत्व दिया जाता है। जिले के अधिकारी राज्य स्तर पर सत्य बात कहने से हिचकिचाते हैं। “भले ही यह मेरा निजी मत हो, लेकिन मैं सरकार एवं प्रशासन को इस योग्य नहीं पाता कि मैं इनके साथ काम करूं।“ हेमंत ने चाहे इस्तीफा वापस ले लिया हो लेकिन उनके खड़े किए गए सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब शायद किसी के पास नहीं है। सरकारी तंत्र में खास कर रेवेन्यू डिपार्टमेंट में काम कैसे होता है, कहां-कहां भ्रष्टाचार की चेन चल रही है व किस तरह से लेन-देन होता है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। ऐसे में यह बहुत संभव है कि संवेदनशील कर्मचारी खुद को असहज महसूस करें। इधर, कुछ लोगों का कहना है कि इंटरनली उपाध्यायजी को सब जानते हैं। इस बार किसी ने उनकी टॉलरेंस को परखने या फिर उन्हें असहज स्थिति में लाने के लिए इस्तीफे वाले पत्र को लीक किया है।

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