28 जुलाई को होगा जल विहार, 4 अगस्त को नगर भ्रमण
24 News Update उदयपुर. सावन के दूसरे सोमवार पर उदयपुर के प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने “ॐ नमः शिवाय” और “महाकाल की जय” के गगनभेदी जयकारों के साथ भगवान आशुतोष का पूजन-अभिषेक किया। इस दौरान भगवान महाकाल को पारंपरिक विधि से पालकी में विराजित कर वन भ्रमण भी कराया गया।
सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक गर्भगृह में स्थित मूल शिवलिंग पर बाहर लगे कलशों के माध्यम से भक्तों ने जलाभिषेक किया। वहीं दोपहर 11:15 बजे से पालकी को सजाकर भगवान के विग्रह स्वरूप को उसमें प्रतिष्ठित किया गया। इसके बाद 12:15 बजे से पालकी को सभा मंडप से निकालकर पहले गर्भगृह के समक्ष लाया गया, जहां श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से उसे झुलाया।
वन भ्रमण की परंपरा निभाई गई
पालकी को मंदिर परिसर स्थित नक्षत्र वाटिका में ले जाकर भगवान महाकाल की विशेष पूजा-अर्चना की गई और भोग अर्पित किया गया। वहां से लौटकर सभा मंडप में आरती की गई और विग्रह को झूले में विराजमान किया गया, जो सावन की पारंपरिक झूला उत्सव की झलक प्रस्तुत करता है। पालकी पूजन के पश्चात भक्तजन धूणी माता मंदिर पहुंचे, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन किया गया और जयकारों के साथ ध्वजा अर्पित की गई। बाद में मंदिर गुंबद पर भी ध्वजा चढ़ाई गई।
पार्थेश्वर शिवलिंग की हो रही विशेष पूजा
पूरे सावन मास के दौरान मंदिर में पार्थेश्वर शिवलिंग की विशेष पूजा की जा रही है। इसमें देशभर के तीर्थों की पवित्र मिट्टी से विभिन्न आकारों में शिवलिंग बनाए जा रहे हैं, जिनका पूजन कर पवित्र जल से अभिषेक किया जाता है। सभा मंडप में स्थित शिवलिंग पर भी दिनभर श्रद्धालु अभिषेक करते हैं।
प्रदोष पर रुद्राभिषेक आज शाम
मंगलवार, 22 जुलाई को प्रदोष व्रत के अवसर पर मंदिर में शाम 5 से 7 बजे तक रुद्राभिषेक का आयोजन होगा। यह अभिषेक प्रदोष मंडल के विद्वान पंडितों द्वारा संपन्न किया जाएगा।
28 जुलाई को जल विहार, 4 अगस्त को नगर भ्रमण
सावन के तीसरे सोमवार 28 जुलाई को भगवान महाकालेश्वर का जल विहार आयोजित होगा। इस अवसर पर उन्हें मंदिर परिसर स्थित गंगा घाट पर ले जाकर विहार करवाया जाएगा।
वहीं 4 अगस्त को महाकालेश्वर का नगर भ्रमण प्रस्तावित है। इस दिन नाव मनोरथ का आयोजन भी होगा। इन दोनों आयोजनों की तैयारियां मंदिर समिति द्वारा जोर-शोर से की जा रही हैं।

