24 News Update जबलपुर। भाजपा विधायक संजय पाठक एक बार फिर विवादों में हैं। आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनियों के अवैध खनन से जुड़े मुकदमे में राहत पाने के लिए सीधे हाई कोर्ट के जज को फोन कर संपर्क साधने की कोशिश की। जबलपुर मुख्यपीठ के जस्टिस विशाल मिश्रा ने इस बात का उल्लेख खुले कोर्ट में किया और खुद को केस की सुनवाई से अलग कर लिया। पूरा मामला अब चीफ जस्टिस को भेजा गया है।
अवैध खनन और 443 करोड़ की पेनाल्टी
यह केस संजय पाठक की तीन कंपनियों — निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग कॉरपोरेशन और पैसिफिक एक्सपोर्ट्स से जुड़ा है। जनवरी 2025 में कटनी निवासी आशुतोष उर्फ मनु दीक्षित ने इन कंपनियों पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन की शिकायत दर्ज कराई थी। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) ने छह माह तक कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सरकार ने जांच कराई और आरोपों को सही पाते हुए 443 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई।विधानसभा में मुख्यमंत्री ने भी वसूली की प्रक्रिया जारी होने की बात स्वीकार की।
कंपनियों की दलील
तीनों कंपनियों ने 22 अगस्त को कोर्ट में आवेदन देकर कहा कि बिना सुनवाई का मौका दिए पेनाल्टी लगा दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायत राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और मुख्यमंत्री का बयान उनकी छवि खराब कर रहा है। इसी आवेदन की सुनवाई 1 सितंबर को हुई, जहां जस्टिस मिश्रा ने अदालत में खुलासा किया कि विधायक संजय पाठक ने उनसे सीधे संपर्क साधने की कोशिश की थी। इसके बाद उन्होंने केस से खुद को अलग कर लिया।
आगे क्या?
अब मामला चीफ जस्टिस के पास है। वे केस को किसी अन्य बेंच में भेज सकते हैं। कानूनी जानकारों का कहना है कि यदि हाई कोर्ट चाहे तो रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दे सकता है।
ऐसा पहला मामला नहीं
यह प्रदेश में पहला मामला नहीं है जब किसी जज से सीधे संपर्क या प्रभाव डालने की कोशिश हुई हो। 2021 में शाजापुर के एक्साइज अफसर विनय रंगशाही पर जमानत दिलाने के लिए जज को घूस ऑफर करने का आरोप लगा था। उस केस में भी हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था।

