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सांसद डॉ रावत ने जनजाति क्षेत्र में प्रत्येक ढाई किलोमीटर क्षेत्र में बैंकिंग सुविधा की मांग संसद में उठाई

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-उदयपुर, सलूंबर, प्रतापगढ के कई गांवों में बैकिंग सुविधा का अभाव
-कहा-भौगोलिक परिस्थितियों के कारण नियमों में बदलाव जरुरी

24 News Update उदयपुर। सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत ने जनजाति क्षेत्र में बैंकिग व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पांच किलोमीटर में बैंकिंग आउटलेट खोलने के नियमों में शिथिलता प्रदान कर ढाई किलोमीटर क्षेत्र में बैंकिंग सुविधा देने की मांग संसद में उठाई।
सांसद डॉ रावत ने गुरुवार नियम 377 के अधीन सूचना के तहत बताया कि उनका लोकसभा क्षेत्र उदयपुर मुख्यतः जनजाति बहुल क्षेत्र है, जहां बिखरी हुई आबादी और पहाड़ी भू-भाग के कारण अनेक स्थानों पर बैंकिंग सुविधाओं का गंभीर अभाव है।
उन्होंने बताया कि उदयपुर जिले के कल्याणपुर, बावलवाड़ा, कनबई, सलूम्बर जिले के जावद, चावण्ड, परसाद, गींगला, सल्लाड़ा, झल्लारा, खरका तथा प्रतापगढ़ जिले के मूंगाणा (धरियावद) सहित कई बड़े गांवों में राष्ट्रीयकृत बैंक शाखाएं खोलने की मांग लंबे समय से की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा जनजाति क्षेत्रों में सैचुरेशन आधारित विकास के लिए धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान सहित अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। साथ ही, पीएमजीएसवाई जैसी योजनाओं के मानकों में भी जनजाति क्षेत्रों के लिए विशेष छूट दी गई है, जिससे बुनियादी सुविधाओं के विस्तार को प्रोत्साहन मिला है।
सांसद डॉ रावत ने बताया कि सरकार का लक्ष्य प्रत्येक गांव के 5 किमी के दायरे में बैंकिंग आउटलेट उपलब्ध कराना है, किंतु जनजाति बहुल क्षेत्रों की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों, पहाड़ी मार्ग, बिखरी बसावट और सीमित परिवहन-को देखते हुए यह दूरी 2.5 किमी निर्धारित किया जाना आवश्यक है। सांसद डॉ रावत ने आग्रह किया कि जनजाति क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक शाखाएं खोलने के मानकों में व्यावहारिक छूट प्रदान की जाए, ताकि जनजाति क्षेत्र के व्यापारी, किसान और आमजन को सुगम व समान बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।

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