24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया सुखाड़िया विश्वविद्यालय में आज एसएफएबी के कर्मचारियों ने कमाल कर दिया। पुलिस की घेराबंदी, सुबह से कड़ी नजर और पल पल पर पहरे के बावजूद गेस्ट हाउस से रवाना होने से ठीक पहले कर्मचारियों ने राज्यपाल हरिभाउ के हाथ में ज्ञापन देकर अपनी पीड़ा को उन तक पहुंचा ही दिया। सुविवि एसएफएबी कर्मचारी संगठन भामस के अध्यक्ष नारायणलाल सालवी और वीसी के खिलाफ प्रताड़ना का प्रतापनगर थाने में परिवाद दे चुकी महिलाओं बेबी गमेती व किरण तंवर ने राज्यपाल महोदय के सामने खुलकर अपनी बात रखी।
आज सुविवि में राज्यपाल के दो कार्यक्रम थे। एक आर्ट्स कॉलेज में भवन के उद्घाटन का तो दूसरा गेस्ट हाउस में व्याख्यानमाला का। सुबह राज्यपाल के आर्ट्स कॉलेज आने से पहले ही कर्मचारी संगठन अध्यक्ष नारायण सालवी कॉलेज पहुंचे तो उन्हें आटर्स कॉलेज के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के गलियारे में ही लगभग नजरबंद कर दिया गया। सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी आस पास ही तैनात हो गए ताकि राज्यपाल के आने पर गत दिनों आंदोलन करने वाले कर्मचारी आकर ज्ञापन नहीं दे सकें। राज्यपाल आए और दृष्य कला विभाग के नए भवन का फीता काट कर गेस्ट आउस के लिए रवाना होगए। यहां से पूरा लवाजमा गेस्ट हाउस के लिए रवाना हो गया। इसके बार सालवी के साथ ही वीसी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाने वाली कर्मचारी बेबी गमेती और किरण तंवर भी गेस्ट हाउस के लिए रवाना हुए। तीनों जैसे ही गेस्ट हाउस पहुंचे, उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया व ज्ञापन देने से इनकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि वे ज्ञापन देकर ही जाएंगे और अपने ही विश्वविद्यालय में उन्हें इस तरह से रोका नहीं जा सकता। इसके बाद उन्हें किनारे किया गया तो दोपहर 12 से 4 बजे तक तीनों ने राज्यपाल महोदय के गेस्ट हाउस से बाहर आने का इंतजार किया। तब तक पुलिस बंदोबस्त और सुविवि प्रशासन की ओर से तीनों पर नजर रखी गई कि कहीं ज्ञापन देने अंदर नहीं चले जाएं। लगभग घेराबंदी जैसी नौबत आ गई। शाम को 4 बजे बाद जैसे ही राज्यपाल महोदय बाहर आए व अपनी कार में बैठने लगे, तीनों प्रशासन के घेरे को पार करते हुए ज्ञापन लेकर राज्यपाल के पास पहुंच गए। राज्यपाल ने तीनों को बुलाया व अपनी व्यथा सुनाने को कहा। तभी दोनों महिलाओं को देख कर बुलाया व ज्ञापन अपने हाथ में लेते ही पूछा कि क्या मामला है आपका।
इस पर सालवी ने कहा कि एसएफएबी कर्मचारियों के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है। हमें वेतन के लिए तरसाया जा रहा है। इसके अलावा किरण तंवर और बेबी गमेती को लंबे समय से तानाशाही करते हुए तनख्वाह नहीं दी जा रही है। इनके साथ वीसी बंगले पर मारपीट हुई है। इस पर गवर्नर साहब ने ज्ञापन पढते हुए तुंरत वीसी की ओर देखा व कहा-मिश्रा!!! इधर आओ!!!!
तभी पीड़िता किरण तंवर ने बोला – माननीय राज्यपाल, मैं वीवी के बंगले पर चार-पांच महीन से काम कर रही हूं, तनख्वाह नहीं मिली वर्क ऑर्डर जारी नहीं हुआ, प्रताड़ित किया। कुलपति ने तुरंत कहा कि इसका पांव टूटा हुआ है, पांच महीन से काम पर नहीं आई। किरण ने कहा कि मुझे काम करते हुए 17 साल हो गए हैं।, वीसी ने कहा कि नहीं, केवल 9 साल हुए हैं। इसके बाद वीसी बोलीं, सर, यह एसएफएबी की महिला है, नए एम्पेनल करने वाले हैं, उसमें इसका कर देंगे।
तभी, ज्ञापन देने आई बेबी गमेती ने राज्यपाल से कहा कि मुझे मैडम ने नाखून लगाए, मारा,,,,,, इस पर गवर्नर साहब थोड़ा सा नाराज हुए व व कहा कि-ठीक है, मैं मामला दिखवाता हूं। इसक बाद वे ज्ञापन लेकर प्रस्थान कर गए। इस बीच कुलपति बार-बार कहती रहीं कि नहीं-नहीं यह झूठ बोल रही है, मेंने नाखून नहीं लगाएं। इस मौके पर एमपीयूएअी के कुलपति प्रोफेसर अजित कुमार कर्नाटक, विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर एसएस सारंगदेवोत, वीएमओयू के कुलपति प्रो कैलाश सोडानी, नीलिमा सुखाड़िया सहित वरिष्ठजन व विभिन्न वरिष्ठ प्रोफेसर्स व पदाधिकारी मौजूद थे।
घटनाक्रम के पूरी विश्वविद्यालय में खूब चर्चे
ज्ञापन देने के इस घटनाक्रम के शाम को पूरे विश्वविद्यालय में खूब चर्चे रहे। कर्मचारियों ने जहां इसे अपनी जीत बताया व कहा कि अब उन्हें कुलाधिपति से न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है तो दोनों महिला कर्मचारियों का कहना था कि आखिर झूठ अब बेनकाब हो गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने वीसी के बंगले पर सेवाएं दीं। इस मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि पुलिस भी परिवाद पर कार्रवाई नहीं कर रही। इसम मामले में विश्वविद्यालय में एसएफएबी का काला सच सामने आ गया है जिसमें भर्ती तो छात्रों के फीस से पैसों से कॉलेज को चलाने के लिए होती है लेकिन काम वीसी बंगले पर लिया जाता हैं। अब यदि सुविवि स्तर पर कमेटी बनें व निष्पक्ष जांच हों तो इसकी आंच कई और अन्य प्र्रोफेसरों व कर्मचारियों तक भी पहुंच सकती है।
पांच सूत्री मांगे इस प्रकार हैः-
- विश्वविद्यालय में कार्यरत स्ववित्त पोषित सलाहकार मंडल के तहत कार्यरत विभिन्न संविदा/एस.एफ.एस. कर्मियो के राज्य सरकार से प्राप्त स्वीकृति पत्र के क्रम में प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति के माह 01 जुलाई, 2025 से 31 दिसम्बर, 2025 तक के आदेश अविलम्ब जारी करावें।
- विश्वविद्यालय में कार्यरत संविदा/एस.एफ.एस. कर्मियो का मानदेय विगत दो वर्षों से नहीं बढ़ाया गया है, अतः मानदेय में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत वृद्धि की जावें।
- विश्वविद्यालय में कार्यरत महिला संविदा/एस.एफ.एस. कर्मियो को मातृत्व अवकाश स्वीकृति के आदेश जारी किये जाये, जैसा कि पूर्व में भी जारी होते रहे है।
- विश्वविद्यालय में कार्यरत श्रीमती किरण कंवर को पिछले 3 महिने से भी किसी भी प्रकार का कार्यदेश जारी नहीं किया गया है। उसे भी पुनः स्ववित्त पोषित सलाहकार मंडल के तहत कार्यादेश जारी करावें।
- दिवंगत श्री प्रकाश नागदा पिछले 20 वर्षों से विश्वविद्यालय में सेवाएं दे रहे थे। मानसिक तनाव के चलते उनका देहान्त कार्यस्थल पर ही हुआ। अतः उनको उचित मुआवजा एवं उनकी पत्नि या पुत्र को स्ववित्त पोषित सलाहकार बोर्ड के तहत कार्यादेश जारी करावें ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके।
इसके साथ ही 21 जुलाई 2025 को संविदा/एस.एफ.एस. महिला कर्मचारी श्रीमती किरण कंवर के साथ हुए अभद्र व्यवहार और श्रीमती बेबी गमेती के साथ हुए जातिगत गाली गलौज और मारपीट के विरोध में प्रतापनगर थाना में परिवाद पेश किया गया जिसकी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई हैए जो यह बताता है कि पुलिस प्रशासन किसी के दबाव में है।
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